अवध के नवाब के वंशज की शिकारगाह में मौत, गहने बेचकर खाना जुटाते थे

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नई दिल्ली :    58 साल के अवध के आखिरी प्रिंस अली रजा का निधन हो गया। वे दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में जंगल के बीच बने मालचा महल (शिकारगाह) में मृत पाए गए। इन्हें (साइरस) भी बुलाया जाता है। आखिरी वक्त में उनकी माली हालत काफी खराब थे। ऐसा कहा जाता है कि वे गहने बेचकर खाना जुटाते थे। पुलिस ने बताया कि किसी ने भी उनकी बॉडी के लिए दावा नहीं। बाद में 5 सितंबर को उन्हें बहादुर शाह जफर मार्ग पर दिल्ली गेट ग्रेवयार्ड में दफन कर दिया गया।

कहां है ये मालचा महल

  • यह महल सरदार पटेल मार्ग के पास सेंट्रल रिज में है। इसे 700 साल पुराना बताया जाता है।
  • यह कभी फिरोजशाह तुगलक का शिकारगाह हुआ करता था।
  • अली रजा मई, 1985 को अपनी मां बेगम विलायत महल, बहन सकीना, 11 लेब्राडोर और कुछ नौकर के साथ यहां शिफ्ट हुए थे।
  • इससे पहले बेगम विलायत ने दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम को अपना ठिकाना बनाया था।
  • कुछ साल बाद सरकार ने उन्हें मालचा महल में रहने की पेशकश की थी।
  • यह इलाका बेहद सुनसान है। मालचा महल में न बिजली है और न पानी का अरेंजमेंट है।
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कई दिन से बीमार थे अली रजा

  • इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के दिल्ली अर्थ स्टेशन के कर्मचारी विजय यादव ने बताया कि रजा कुछ दिन से बीमार थे।
  • वे हमें दो-तीन से नहीं दिख रहे थे। हम उनकी बिना परमिशन के पहली बार इस जगह में अंदर गए। देखा तो उनकी मौत हो चुकी थी।
  • यादव और उनके साथियों ने रजा के निधन की जानकारी पुलिस को दी थी।

बेगम विलायत ने सुसाइड किया था

  • बेगम विलायत महल ने 1993 में 62 साल की उम्र में सुसाइड किया था।
  • उन्होंने डायमंड को तोड़कर उसे निगल लिया था।
  • जिससे उनकी मौत हो गई थी।
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