नयी दिल्ली : सरकार ने बुधवार को विश्व बैंक समर्थित 6,655 करोड़ रुपये की दो नयी कौशल योजनाओं को मंजूरी दी. इन योजनाओं के तहत संस्थागत सुधार किए जाएंगे और कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवता में सुधार किया जाएगा और बाजार के हिसाब से तार्किक बनाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में स्किल एक्विजिशन एंड नॉलेज अवेयरनेस फॉर लाइवलीहुड प्रमोशन (संकल्प) तथा स्किल स्ट्रेंथनिंग फॉर इंडस्ट्रियल वैल्यू एन्हांसमेंट (स्ट्राइव) योजना को मंजूरी दी गई.
इधर भारत सरकार ने पहले से काम कर रहे तीन लाख (आन जॉब) युवाओं को तीन से पांच साल के प्रशिक्षण के लिए जापान भेजेगा. केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम के तहत इन युवाओं को जापान भेजा जाएगा.
भारतीय तकनीकी इंटर्न के कौशल प्रशिक्षण की लागत का बोझ जापान वहन करेगा. प्रधान ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और जापान के बीच तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीआईटीपी) के लिए सहयोग के समझौते (एमओसी) पर दस्तखत को मंजूरी दे दी है. प्रधान ने कहा कि उनकी तीन दिन की तोक्यो यात्रा के दौरान इस एमओसी पर दस्तखत हो सकते हैं.
प्रधान की तोक्यो यात्रा 16 अक्तूबर से शुरू हो रही है. प्रधान ने ट्वीट किया कि टीआईटीपी तीन लाख भारतीय तकनीकी इंटर्न को तीन से पांच साल के लिए प्रशिक्षण को जापान भेजने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि इन युवाओं को अगले तीन साल में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा. इसमें जापान वित्तीय सहयोग देगा. मंत्री ने कहा कि प्रत्येक युवा को वहां तीन से पांच साल के लिए भेजा जाएगा.
ये युवा जापान के पारिस्थितिकी तंत्र में काम करेंगे और उन्हें रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. इसके अलावा उन्हें वहां ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी. करीब 50,000 लोगों को जापान में नौकरी भी मिल सकती है. जापानी आवश्यकताओं के हिसाब से पारदर्शी तरीके से इन युवाओं का चयन किया जाएगा.
संकल्प केंद्र प्रायोजित 4,455 करोड़ रुपये की योजना है. इसमें विश्व बैंक की ओर से 3,300 करोड़ रुपये का ऋण सहयोग मिला है. वहीं स्ट्राइव केंद्रीय क्षेत्र योजना है. 2,200 करोड़ रुपये की इस योजना के लिए विश्व बैंक से आधा ऋण सहायता के रुप में होगा.
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया को सीसीईए के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि हम इस निवेश के जरिये देश में 66 से अधिक अंतरराष्ट्रीय कौशल प्रदाता संस्थानों की स्थापना करेंगे. ये संस्थान विदेशों में नौकरियों के लिए वैश्विक मानदंडों के हिसाब से कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराएंगे.
बयान में कहा गया है कि करीब 30,000 लोगों को इन संस्थानों में प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें इंटरनेशनल अवार्डिंग बॉडीज (आईएबी) से प्रमाणपत्र दिया जाएगा. प्रधान ने कहा कि प्रणाली की दक्षता और पारदर्शिता में सुधार के जरिये 500 आईटीआई का आदर्श आईटीआई के रुप में उन्नयन किया जाएगा और उनका उद्योग से जुड़ाव बढ़ाया जाएगा.
इन योजनाओं से राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, 2015 और उसके विभिन्न उप मिशनों को आवश्यक प्रोत्साहन मिल सकेगा. इनका सरकार के मेक इन इंडिया और स्वच्छता अभियान जैसे प्रमुख कार्यक्रमों से तालमेल बैठाया जा सकेगा.