‘खेती को कारोबार की तरह करना जरूरी’
देश में खेती-किसानी को अब नए नजरिये से देखने की जरूरत है और इसके लिए किसानों को चाहिए कि वे बाकायदा एक रणनीति के साथ सीजन की शुरुआत करें. इस रणनीति में खेती की तैयारी से लेकर उपज की बिक्री तक को शामिल किया जाना चाहिए, तभी खेती को भी कारोबार की तरह एक लाभकारी उपक्रम की तरह विकसित किया जा सकता है.
कृषि विपणन विशेषज्ञ भुवन भास्कर ने मंगलवार को बिरौली में कृषि विज्ञान केंद्र पर आयोजित किसानों की सभा में कहा कि जिस तरह एक कारोबारी कारोबार की शुरुआत से पहले ही कच्चे माल की आपूर्ति से लेकर, मांग और बाजार की पूरी जानकारी हासिल करता है, उसी तरह किसानों को भी पारंपरिक खेती के दायरे से निकाल कर लागत, मांग और बाजार के लिहाज से अपनी रणनीति तैयार करनी चाहिए.
‘खेती में आधुनिक तकनीक का प्रयोग और विपणन रणनीति की आवश्यकता’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में विशेषज्ञ भुवन भास्कर ने कहा कि नए दौर में खेती के क्षेत्र में हो रहे नए-नए प्रयोगों पर भी लगातार नजर रखने की जरूरत है ताकि उन्हें अपनी परिस्थितियों के अनुकूल बनाकर अपने खेतों में इस्तेमाल किया जा सके. कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली आधारित गैर सरकारी संगठन ओआरएम ग्रीन की ओर से किया गया.
उदाहरण के तौर पर उन्होंने माइक्रोइरीगेशन का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार जैसे राज्यों में जहां पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, वहां आमतौर पर लोग माइक्रो इरीगेशन का महत्व नहीं समझ पा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि माइक्रो इरीगेशन तकनीक का इस्तेमाल कर बिजली की खपत को 31 फीसदी, खाद की खपत को 28 फीसदी और फलों एवं सब्जियों की उत्पादकता को क्रमशः 42 फीसदी और 52 फीसदी बढ़ाया जा सकता है. इतना ही नहीं टपक सिंचाई और स्प्रिंकलर के रूप में इस्तेमाल होने वाली इस तकनीक से गेहूं की उत्पादकता में 45 फीसदी, चने में 20 फीसदी और सोयाबीन में 40 की बढ़ोतरी की जा सकती है.
तकनीक के इस्तेमाल के अलावा उन्होंने छोटे किसानों के लिए समेकित खेती यानी इंटीग्रेटेड फार्मिंग के मॉडल पर जोर दिया. भुवन भास्कर ने देश में चल रही किसान उत्पादक संगठनों यानी एफपीओ प्रयोगों का जिक्र किया और कई उदाहरणों के जरिए बताया कि किसान एक साथ आकर न केवल अपनी उपज का बेहतर भंडारण कर सकता है, बल्कि कम परिवहन खर्च और प्रभावी मोलभाव से बेहतर कीमत भी हासिल कर सकता है.
एग्री मार्केटिंग में वायदा बाजार की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने पूर्णिया के आरण्यक एफपीओ का जिक्र किया, जिसने पिछले दो साल में वायदा प्लेटफॉर्म पर मक्के की हेजिंग से अपने सदस्य किसानों के लिए मंडी की तुलना में प्रति क्विंटल 200-250 रुपये ज्यादा का भाव हासिल किया है.
उन्होंने कहा, “तकनीक ने किसानों के लिए एक पूरी नई दुनिया के दरवाजे खोल दिए हैं. आज ऐसी व्यवस्था है, जहां इंटरनेट पर खेतों की जियो मैपिंग की जा रही है और दूर बैठे लोग कम्प्यूटर पर मिल रहे उपग्रह चित्रों से आपकी मिट्टी में नमी ही नहीं, बल्कि कैल्शियम, पोटाशियम और अमोनिया जैसे तत्वों की जानकारी हासिल कर लेते हैं. इस जानकारी के आधार पर आपको खेतों में जरूरी खाद या पानी की मात्रा और समय की ठीक-ठीक सलाह हासिल हो सकती है. बस ज़रूरत है आपके दरवाजा खोल कर बाहर निकलने की.”