अमेरिका ने कहा, जर्मनी तोड़े उत्तर कोरिया से रिश्ते
अमेरिका ने कहा है कि जिन देशों के उत्तर कोरिया के साथ संबंध हैं, वे अपने संबंध खत्म कर लें. अमेरिका ने खास तौर से जर्मनी का जिक्र किया है जबकि स्वीडन और ब्रिटेन के दूतावास भी उत्तर कोरिया में हैं.
उत्तर कोरिया को अलग थलग करने की एक और कोशिश के तहत अमेरिका ने उन देशों से उत्तर कोरिया के खिलाफ कदम उठाने को कहा है जिनके उसके साथ अब भी राजनयिक संबंध हैं. अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नोएर्ट ने कहा कि रिश्ते खत्म करने और विदेशों में उत्तर कोरियाई कामगारों की संख्या सीमित करने से उत्तर कोरिया पर दबाव बढ़ेगा और वह अपने परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए मजबूर होगा.
बुधवार को उत्तर कोरिया ने एक उन्नत बैलेस्टिक मिसाइल ह्वासोंग-15 का परीक्षण कर दावा किया कि अब वह अमेरिका में कहीं भी मार करने की क्षमता रखता है. हालांकि नोएर्ट ने उत्तर कोरिया से संबंध तोड़ने का आग्रह सभी देशों से किया, लेकिन डीडब्ल्यू रिपोर्टर की तरफ से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने जर्मनी का खास तौर से जिक्र किया.
डीडब्ल्यू के कार्स्टेन फॉन नामेन ने उनसे पूछा, “क्या आप चाहेंगी कि जर्मनी अपने राजदूत को उत्तर कोरिया से वापस बुलाये और राजनयिक रिश्ते तोड़ दे? या फिर यह संपर्क बनाये रखने का एक अहम माध्यम हो सकता है, अमेरिका के लिए भी?” नोएर्ट ने कहा, “हम जर्मनी और दुनिया भर के देशों से कहते हैं कि वह अपने राजदूतों को वापस बुला लें.”
अमेरिकी प्रवक्ता ने माना कि जर्मन सरकार उत्तर कोरिया के “गेस्ट वर्कर” सिस्टम से निपटने में मददगार रही है. माना जाता है कि विदेशों में काम करने वाले उत्तर कोरियाई कामगारों के वेतन का बड़ा हिस्सा किम जोंग उन की सरकार के पास जाता है जिससे उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के लिए धन जुटाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने भी सभी देशों से उत्तर कोरिया से राजनयिक संबंध तोड़ने के साथ साथ उसके साथ व्यापार भी खत्म करने को कहा है. लेकिन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के युर्गन हार्ड्ट ने उत्तर कोरिया से संबंध खत्म करने की अपील को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि जर्मनी को उत्तर कोरिया से अपने राजदूत को बुलाने के अमेरिका के आग्रह को नहीं मानना चाहिए. रूस ने भी अमेरिकी अपील को खारिज किया है.
जिन देशों के राजनयिक मिशन उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में मौजूद हैं उनमें जर्मनी और रूस के अलावा चीन, ब्रिटेन, स्वीडन, पोलैंड, भारत और पाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं.