नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री और BJP की वरिष्ठ नेता Sushma Swaraj का मंगलवार को निधन हो गया. उनके निधन के साथ ही दिल्ली ने पिछले एक साल से कम समय के अंतराल में अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री खो दिए हैं. बता दें कि सुषमा स्वराज अक्टूबर से दिसंबर 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं. मंगलवार की रात हृदय गति रूक जाने से उनका निधन हो गया. वहीं, दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं Sheila Dikshit का इस साल जुलाई में हृदय गति रूक जाने से निधन हो गया था. वर्ष 1993 से 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे Madan Lal Khurana का निधन पिछले साल अक्टूबर में हो गया था. इस तरह दिल्ली ने एक साल से भी कम समय के अंतराल में अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को खो दिया.
Sushma Swaraj का राजनीतिक सफर
Sushma Swaraj ने 25 साल की उम्र में हरियाणा की अंबाला सीट से पहला चुनाव लड़ा था. वो सबसे कम उम्र में विधायक बनीं. इसके साथ ही वो देवीलाल सरकार में मंत्री भी बनीं. Sushma Swaraj साल 1979 में हरियाणा में जनता पार्टी की अध्यक्ष भी रहीं. वो 1987 से 1990 तक हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहीं. साल 1990 में पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं थीं.Sushma Swaraj साल 1996 में पहली बार दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा चुनाव चुनाव जीतीं और 13 दिन की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनीं. 1998 में वो दूसरी बार दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा सांसद बनीं और फिर से सूचना प्रसारण मंत्री बनीं. Sushma Swaraj 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनीं. पूर्व विदेश मंत्री Sushma Swaraj साल 1999 में सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से चुनाव हारीं. वो वर्ष 2000 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए चुनीं गईं और 2000-2004 तक केंद्र सरकार में मंत्री रहीं. Sushma Swaraj 2006 में तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं. साल 2009 में विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतीं और लोकसभा में विपक्ष की उपनेता बनीं. 26 मई, 2014 को केंद्र सरकार में विदेश मंत्री बनीं. Sushma Swaraj ने 2019 में स्वास्थ्य कारणों से नहीं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा.
Sheila Dikshit का राजनीतिक सफर
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री Sheila Dikshit इस साल जुलाई में निधन हो गया था. Sheila Dikshit साल 1984 से 1989 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लोकसभा सदस्य रहीं. उन्होंने 1986 से 1989 के दौरान केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया और दो विभागों राज्यमंत्री पीएमओ और राज्यमंत्री संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी. शीला दीक्षित वर्ष 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं और करीब 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. साल 2015 में आम आदमी पार्टी के हाथों दिल्ली में करारी हार मिलने के बाद Sheila Dikshit ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. बता दें कि वर्ष 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया था, लेकिन कुछ महीनों बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
Madan Lal Khurana का राजनीतिक सफर
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री Madan Lal Khurana का निधन पिछले साल अक्टूबर में हुआ था. Madan Lal Khurana साल 1959 में पहली बार छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का जनरल सेक्रेटरी चुना गया. इसके बाद वह 1960 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जनरल सेक्रेटरी चुने गए. राजनीति में प्रवेश करने से पहले Madan Lal Khurana दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे थे.मदन लाल खुराना ने विजय कुमार मल्होत्रा व अन्य के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ के केंद्र की स्थापना की थी. जिसे आगे चलकर बीजेपी के रूप में जाना गया. पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने और कर्मठता की वजह से Madan Lal Khurana को दिल्ली का शेर भी कहा जाता था. Madan Lal Khurana 1993 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और 1996 में इस्तीफा देने तक इस पद पर रहे. Madan Lal Khurana अपने राजनीतिक करियर के ऊंचाई पर रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. इसके अलावा उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अभी अपनी सेवाएं दी. वह 14 जनवरी से 28 अक्टूबर 2004 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे. इसके बाद उन्होंने एक बार फिर राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए इस पद से इस्तीफा दे दिया था.