मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने ‘पद्मावती’ फिल्म पर बैन लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा है कि फिल्म को रिलीज करना या न करना, यह राष्ट्रीय सेंसर बोर्ड का अधिकार है.
यह तीसरा मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पद्मावती को प्रतिबंधित करने के आग्रह को खारिज कर दिया है. इससे उन लोगों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को झटका लगा है जो फिल्म को रिलीज करने का विरोध कर रहे थे.
सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि यह तय करना राष्ट्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का काम है कि कोई फिल्म रिलीज करने लायक है या नहीं. अदालत ने यह भी कहा है कि इस मुद्दे पर बयानबाजी नहीं होनी चाहिए. जजों ने कहा, “जब मामला अभी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सामने लंबित है तो फिर सार्वजनिक पदों पर बैठे लोग कैसे कह सकते हैं कि बोर्ड को फिल्म के लिए सर्टिफिकेट जारी करना चाहिए या नहीं.”
खुद को राजपूतों का संगठन कहने वाले करणी सेना नाम के संगठन के अलावा कई राजनेताओं ने भी फिल्म का यह कह विरोध किया है कि इसमें इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. कई हिंदूवादी संगठनों ने भी फिल्म का विरोध किया है.
राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे फिल्म को सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी अपने राज्यों में रिलीज नहीं होने देंगे. कई केंद्रीय मंत्री कह चुके हैं कि फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली को फिल्म बनाने से पहले इसके विरोधियों और इतिहासकारों से बात करनी चाहिए थी ताकि वह ऐसे वर्जन पर सहमत होते जिस पर किसी को आपत्ति ना हो. वहीं कई फिल्मकार और कलाकार इस विवाद को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बता रहे हैं. फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली ने इन खबरों को गलत बताया है कि फिल्म में राजपूत रानी पद्मावती और मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिजली के बीच प्रेम प्रसंग दिखाया गया है. किंवदंतियों के मुताबिक खिजली पद्मावती के रूप पर मोहित था और पद्मावती ने अपने पति की युद्ध में मौत के बाद चिता में जलकर भस्म होने का फैसला किया ताकि खिलजी उसे हासिल न कर सके. 190 करोड़ रुपये में बनी इस फिल्म में पद्मावती का किरदार दीपिका पादुकोण ने निभाया है जबकि खिलजी के रोल में रणवीर सिंह और राजा रतन सिंह के रोल में शाहिद कपूर दिखेंगे.