चुनाव से पहले ED ने वीरभद्र सिंह के परिवार पर की बड़ी कार्रवाई
शिमला। प्रदेश में गरमा रहे चुनावी महौल के बीच आज प्रर्वत्तन निदेशालय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुये उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह की दो कंपनियों को जब्त कर लिया है। इस कार्रवाई के बाद अब तक वीरभद्र सिंह के परिवार की चालीस करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लडऩे जा रहे हैं। लेकिन ईडी ने उनके नामांकन भरने से पहले ही जोर का झटका दिया है जिससे कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है।
इस मामले में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी आरोपी हैं। शुक्रवार देर शाम ईडी ने इस संबंध में कार्रवाई करते हुए विक्रमादित्य सिंह की दो कपंनियों की करोड़ों की संपति कुर्क की है। जानकारी के अनुसार, विक्रमादित्य की कंपनी मेसर्स तारिणी इंटरनेशनल और तारिणी इंफ्रा दमनगंगा प्रोजेक्ट से ये कंपनी जुड़ी हैं।
तारिणी इंफ्रा दमनगंगा प्रोजेक्ट गुजरात के वापी में स्थित है। जानकारी है कि ईडी ने करीब 4.2 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क किया है। इससे पहले दिल्ली के डेरा मंडी में फार्म हाउस को भी ईडी ने जब्त कर लिया है.ईडी की तफ्तीश में ये पता चला था कि करीब 5 करोड़ 9 लाख रुपये वकामुल्ला चंद्रशेखर ने सीएम वीरभद्र सिंह को दिये, ये रकम सीएम के पारिवारिक सदस्यों में बांटी गई.तीन बैंक अकाउंट के जरिये रकम सीएम और उनके परिवार के पास पहुंची। बेटे विक्रमादित्य सिंह और बेटी अपराजिता सिंह के नाम से 60 लाख रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट किया गया और शेयर खरीदे गये। प्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच इस तरह इस कार्रवाई ईडी के अधिकारियों का कहना है कि पुराना मामला है. पहले भी इसमें कार्रवाई की गई है।
बता दें कि ईडी ने सितम्बर, 2015 में वीरभद्र सिंह, उनके बेटे व अन्यों पर पी.एम.एल.ए. के तहत मामला दर्ज किया था। ई.डी. ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) की एक आपराधिक शिकायत के संज्ञान में आने पर इस मामले को दर्ज किया। सी.बी.आई. ने 31 मार्च को आरोप पत्र दाखिल किया था जब उच्च न्यायालय ने वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी पर बेहिसाब संपत्ति मामले में एफ.आई.आर. रद्द करने से इंकार कर दिया था। वीरभद्र सिंह ने दावा किया था कि प्राथमिकी दर्ज करना बदले की राजनीति का नतीजा है। ईडी वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ 2009 व 2011 के बीच उनकी आय के ज्ञात स्रोतों की तुलना में 6.1 करोड़ रुपए की अधिक संपत्ति जुटाने के आरोपों की जांच कर रहा है। इस दौरान वीरभद्र सिंह केंद्रीय इस्पात मंत्री थे।