सीनियर बीजेपी लीडर यशवंत सिन्हा ने कहा है कि अर्थव्यवस्था बहुत बुरी हालत में है. उन्होंने जीडीपी को कैल्कुलेट करने के तरीकों पर भी सवाल उठाया है.
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश करते हुए अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में एक लेख लिखा है. इस लेख में उन्होंने कहा कि सरकार ने 2015 में जीडीपी की गणना करने के तरीके में बदलाव किया था, इस तरीके से गणना करने पर जीडीपी रेट में 2 प्रतिशत का अंतर आता है.
उन्होंने लिखा, “वर्तमान में हमारी जीडीपी ग्रोथ रेट 5.7 प्रतिशत है जबकि पुराने तरीके की गणना के अनुसार यह केवल 3.7 प्रतिशत या उससे भी कम है.”
उन्होंने लिखा कि रेड (Raid) राज आजकल आम बात हो गई है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास कई केस हैं जिनसे लाखों लोग जुड़े हैं. उन्होंने लिखा, “ईडी और सीबीआई के हाथ भी खाली नहीं हैं. लोगों के मन में डर पैदा करने का खेल शुरू हो गया है.”
वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब कर दी है. अगर मैं अब भी इस बारे में न बोलूं तो यह देश के प्रति अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ना होगा.
उन्होंने कहा कि वह जो भी लिख रहे वह उनके साथ-साथ बीजेपी और इससे बाहर के कई ऐसे लोगों का मत है जो डर के कारण कुछ बोल नहीं पा रहे हैं.
यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपायी की सरकार में वित्त मंत्री थे. उनके काल में ही इंडिया मिलेनियम बॉन्ड्स जैसी सफल योजना शुरू हुई थी. वह नरेंद्र मोदी सरकार की कई नीतियों की लगातार आलोचना करते रहे हैं. उनके बेटे जयंत सिन्हा पहले वित्त मंत्रालय में राज्यमंत्री थे लेकिन अब उन्हें उड्डयन मंत्रालय दे दिया गया है. माना जाता है कि उनके यशवंत सिन्हा की आलोचनाओं के चलते ही उनका ट्रांसफर किया गया है.
सिन्हा के इस आर्टिकल में देश की अर्थव्यवस्था से ज्यादा वित्तमंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा, “वित्त मंत्रालय को अपने बॉस का अनडिवाइडेड अटेंशन चाहिए होता है.” उन्होंने इशारा किया कि अरुण जेटली को अन्य कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी दी गई है जो कि वित्त मंत्रालय से उनका ध्यान भटका रही है.
उन्होंने चेतावनी दी कि अर्थव्यवस्था को बनाना जितना मुश्किल है उसे बिगाड़ना उतना ही आसान है. उन्होंने लिखा, “पीएम दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है. उनके वित्त मंत्री पूरे देश को गरीबी दिखाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.”