यह शायद बड़े भाई के प्रति छोटे के सम्मान का मामला है. बड़े भाई लालू प्रसाद अपने छोटे भाई और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के ट्वीट को फाॅलो नहीं करते. ठीक उलट छोटे जिन 144 हस्तियों को फाॅलो करते हैं, उनमें बड़े भाई भी शामिल हैं. हालांकि इस मोर्चे पर बड़े का रिकॉर्ड कुछ ठीक नहीं है. वे सिर्फ 56 लोगों को फाॅलो करते हैं. इनमें अधिक लोग पार्टी और परिवार के हैं. मसलन तेजस्वी यादव, मीसा भारती और दामाद तेजप्रताप के नाम उनकी फाॅलोइंग लिस्ट में है. बेशक, नये बने दोस्त शरद यादव भी इस सूची में शामिल हैं. माकपा के सीताराम येचुरी का नाम पहले नंबर पर है. राजद सुप्रीमो पीएमओ के ट्विटर को तो फाॅलो करते हैं. मगर, पीएम नरेंद्र मोदी को नहीं फाॅलो करते हैं.
पुराने साथी अधिक हैं
लगता है कि महागठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार ने उन लोगों की सूची को संशोधित नहीं किया है, जिन्हें वे महागठबंधन की सरकार के दौरान फाॅलो करते थे, आज उनसे राजनीतिक दुश्मनी है. तभी तो लालू प्रसाद के अलावा कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम, अहमद पटेल, जयराम नरेश, अभिषेक सिंघवी, राम जेठमलानी, संजय निरूपम, अजय माकन और रणदीप सूरजेवाला का नाम उनकी फाॅलोइंग सूची में शामिल है. हां, मुख्यमंत्री के नाते वे पहले से पीएम नरेंद्र मोदी को फाॅलो करते रहे हैं. फिर भी इस सूची में डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और कई करीबी केंद्रीय मंत्रियों का नाम न होना हैरत की बात मानी जा सकती है.
कई पत्रकार शामिल हैं
सीएम जिन्हें फाॅलो करते हैं, उनमें देश विदेश के कई पत्रकार शामिल हैं. हिंदी अखबारों में वे अमर उजाला को फाॅलो करते हैं, तो प्रधान संपादकों में दैनिक जागरण के संजय गुप्ता और हिंदुस्तान के शशि शेखर के नाम इसमें जुड़े हुए हैं. उदयोगपति रतन टाटा, विल गेट्स, नंदन नीलकेणी, दलाई लामा के अलावा नीतीश कुमार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को फाॅलो करते हैं. ट्वीट पर हासिल शिकायत पर तुरंत एक्शन लेने के कारण चर्चित हुए तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु का नाम भी फाॅलोइंग सूची में शामिल हैं. पता नहीं, नीतीश कैबिनेट के कोई मंत्री ट्विटर पर हैं या नहीं, फाॅलोइंग सूची में किन्हीं का नाम नहीं है. इस सूची में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उन पत्रकारों की तादाद अधिक है, जिन्हें आज की तारीख में एंटी स्टैबलिशमेंट माना जा रहा है. मसलन रवीश कुमार और कुछ दूसरे पत्रकार.
संख्या में भारी पड़ रहे लालू
अगर फाॅलोअर की तादाद के लिहाज से तुलना करें, तो बड़े भाई यहां उन पर भारी पड़ रहे हैं. नीतीश को करीब 20 लाख लोग फाॅलो करते हैं तो लालू प्रसाद के फाॅलोअर की संख्या पौने 24 लाख से अधिक है. एक फर्क और है. लालू प्रसाद अपने ट्वीट में समसामयिक राजनीतिक घटनाओं पर टिप्पणी करते हैं, जबकि नीतीश के ट्वीट में सरकारी कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी की खबरें और तस्वीरें पोस्ट की जाती हैं. हां, कभी किसी हस्ती को जन्म दिन पर दिए गए बधाई संदेश भी पोस्ट किए जाते हैं. ट्वीट करने के मामले में भी बड़े भाई आगे हैं. नीतीश मई 2010 से ट्विटर पर हैं. सात साल से अधिक समय में उन्होंने कुल 2310 बार ट्वीट किये हैं. इधर बड़े भाई इस प्लेटफॉर्म पर अगस्त 2012 में हाजिए हुए. उनके ट्वीट की संख्या 3475 है.
ब्लाॅग से की थी शुरुआत
नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर ब्लाॅग से शुरुआत की थी. कुछ महीनों तक उन्होंने सप्ताह में एक ब्लाॅग लिखा. मगर, धीरे-धीरे उन्होंने खुद को लेखन की इस विधा से अलग कर लिया. 2011 के दो साल बाद 2013 में और आखिरी ब्लाॅग 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद लिखा. वह खुले में शौच पर था. ट्विटर के अलावा नीतीश फेसबुक पर भी हैं. यहां भी सरकारी कार्यक्रम से जुड़ी खबरें ही पोस्ट की जाती हैं.