साल 2013 में बिहार की राजधानी पटना और बोधगया में हुए बम धमाकों के लिए नाबालिग अभियुक्त को दोषी पाया है। तब मोदी पटना के गांधी मैदान में 27 अक्टूबर को एक रैली को संबोधित कर रहे थे। तब मोदी को बीजेपी से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया था।
बुधवार 11 अक्टूबर को को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रिसाइडिंग अफसर दिव्या मिता ने नाबालिग दोषी को को दोनों मामलों के लिए तीन साल सुधार गृह में रखने का आदेश दिया। बोधगया में सात जुलाई 2013 को सिलसिलेवार बम धमाकों में किसी की जान नहीं गयी। बोधगया में रखे गये 13 में से 10 बमों में विस्फोट हुआ था। तब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली में हुए बम धमाके में बम विस्फोट हुए थे। सिमी से जुड़े आतंकवादियों ने गांधी मैदान में कुल नौ बम रखे थे जिनमें हुए विस्फोट में छह लोग मारे गये थे और आठ लोग घायल हुए थे।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) के जांच अधिकारी लल्लन प्रसाद सिन्हा ने बताया अभियुक्त को दोनों मामलों में अलग-अलग तीन साल सुधार गृह में रखने की सजा मिली है। टाइम्स ऑफ इंडिया को सिन्हा ने बताया कि अभियुक्त और उसके साथियों ने बोधगया और पटना के गांधी मैदान में बम रखे थे। नाबालिग अभियुक्त झारखंड की राजधानी रांची का रहने वाला है। एनआईए ने उसे रांची से ही गिरफ्तार किया था। अभियुक्त पिछले तीन साल से पटना के एक किशोर सुधार गृह में रह रहा था और कुल छह साल की सजा पूरे होने तक वो वहीं रहेगा। सिन्हा ने टीओआई को बताया कि नाबालिग दोषी सिमी से जुड़ा कट्टरपंथी था और छ्त्तीसगढ़ के रायपुर में भी पुलिस ने एक मामले में उसे सिमी से जुड़ा अभियुक्त बनाया था।
रिपोर्ट के अनुसार बोधगया धमाकों और पटना धमाकों में ये पहला फैसला है। एनआईए की विशेष अदालत में बोधगया मामले के पांच अन्य अभियुक्तों और गांधी मैदान धमाके के 10 अभियुक्तों का मामला चल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार नाबालिग को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक षडयंत्र), हत्या, हत्या का प्रयास इत्यादि का दोषी पाया गया।