अगर एग्जिट पोल सही साबित हुए तो गुजरात में बीजेपी की जीत के ये होंगे 5 बड़े कारण
नई दिल्ली: गुजरात चुनाव की जीत को लेकर भविष्यवाणी (Prediction) हो चुकी है. एग्जिट पोल्स (Exit Polls) की भविष्यावाणी (Prediction) में हिमाचल में कमल तो खिलेगा ही, साथ ही गुजरात के रण में भी भाजपा (BJP) विजय पताका लहराएगी. हालांकि, एग्जिट पोल की भविष्यवाणी (Prediction Of Exit Polls) में कितना दम है इसका फैसला 18 दिसंबर को वोटों की गिनती के बाद ही होगा. मगर जिस तरह से तमाम न्यूज चैनलों और एजेंसियों (News Channels and Agencies) ने गुजरात में भाजपा को बढ़त दी है, उससे ये साफ नजर आने लगा है कि अगर कोई हैरान करने वाला वाकया नहीं होता है, तो भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) गुजरात में पिछले 22 सालों की सत्ता को एक बार फिर से बचाने में कामयाब हो जाएगी. गुजरात में अगर बीजेपी सच में सरकार बनाती है तो इसकी एक वजह नहीं, बल्कि कई वजहें होंगी. इस बार सिर्फ मोदी मैजिक ही नहीं चला है, बल्कि ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिसे भुनाने में बीजेपी कामयाब हो गई है.
तो चलिए जानते हैं कि अगर गुजरात में एग्जिट पोल की भविष्यवाणी सच साबित होती है तो बीजेपी की जीत के कौन-कौन से की-फैक्टर होंगे.
1. मोदी मैजिक का कमाल
इसमें कोई शक नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के खेवनहार अभी भी पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ही हैं. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में परवान चढ़ा मोदी मैजिक अभी भी अपने शबाब पर है. यही वजह है कि गुजरात चुनाव (Gujarat Elections) से पहले वहां के लोगों में बीजेपी (BJP) को लेकर जो रोष और नाराजगी देखने को मिली, वो मोदी की रैलियों की वजह से धीरे-धीरे कम होता गया. जब तक मोदी चुनावी प्रचार के मैदान में नहीं थे, तब तक बीजेपी कांग्रेस (BJP Congress) के सामने कमजोर टीम साबित हो रही थी. मगर जैसे ही चुनावी अभियान (Election Campaign) का मोर्चा खुद पीएम मोदी ने संभाला, वैसे ही बाजी पलट गई और गुजरात की जनता (People of Gujarat) को पीएम मोदी ने ऐसे वशीभूत किया कि उसका असर मतदान केंद्रों में ही देखने को मिले. गुजरात की जीत (Gujarat’s victory) एक बार फिर से साबित करती है कि मोदी के चुनावी जुमले और उनके भाषण का अंदाज आज भी लोगों को लुभाने की ताकत रखते हैं. यही वजह है कि अगर बीजेपी की जीत होती है, तो पीएम मोदी सबसे बड़ी वजह होंगे. सच कहूं तो पीएम मोदी की चेहरा ही गुजरात की जीत की बानगी होगी.
2. कांग्रेस और राहुल पर लगातार हमला
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि इस चुनाव में विकास का पर्याय कही जाने वाली पार्टी बीजेपी और शख्स पीएम मोदी विकास के मुद्दे से कन्नी काटते नजर आए. कुछ-एक जगहों को छोड़ दें तो कहीं भी बीजेपी की ओर से कोई भी विकास और गुजरात के मुद्दों पर बोलता नजर नहीं आया. मगर बीजेपी ने अपनी जो रणनीति बनाई थी, उसमें वो कामयाब होते नजर आए. बीजेपी और पीएम मोदी ने पूरे चुनाव अभियाने के दौरान कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला करना जारी रखा. बीजेपी के छोटे स्तर के नेता से लेकर पीएम मोदी तक ने राहुल गांधी पर व्यक्तिगत हमले करने से गुरेज नहीं किया. बीजेपी की आईटी सेल ने भी राहुल को ट्रोल करने की भरपूर कोशिश की. रैलियों में पीएम मोदी के भाषण की शुरुआत और अंत दोनों ही राहुल गांधी और कांग्रेस से ही होती थी. यही वजह है कि गुजरात की जनता की नजर में राहुल गांधी और कांग्रेस की जो छवि बननी चाहिए वो नहीं बन पाई. वो कहते हैं न कि झूठ को अगर बार-बार प्रचारित किया जाए तो वो सच लगने लगती है. गुजरात में बीजेपी ने शायद इसी वाक्य को चरितार्थ किया.
3. अय्यर के बयान बीजेपी के लिए संजीवनी
गुजरात चुनाव में बीजेपी की जीत के वैसे तो कई फैक्टर होंगे, मगर बीजेपी के लिए कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर का पीएम मोदी के लिए बयान किसी की-फैक्टर से कम नहीं था. एक तरह से देखा जाए तो मणिशंकर अय्यर का नीच आदमी वाला बयान ने बीजेपी के लिए संजीवनी का काम किया. इस बात को खुद बीजेपी और पीएम मोदी भी जानते हैं. यही वजह है कि बयान के आने के बाद भी पीएम मोदी ने इसे जनसभा में अपना चुनावी हथियार बना लिया और दूसरे चरण में इसका खूब फायदा मिला. पीएम मोदी ने इस बयान को गुजरात के अपनाम से जोड़ कर वहां के लोगों की सहानुभूति वोट के रूप में बटोर लीं. पीएम मोदी सभी रैलियों में बीजेपी और खुद पर हुए कांग्रेस की ओर से हमले को गुजरात पर हमला करार देते नजर आए. पीएम मोदी ये भी कहते सुने गये कि उनका अपमान मतलब गुजरात का अपमान. पीएम मोदी के ऐसे ही करिश्माई भाषणों ने वहां की जनता के मन को इस तरह से मोह लिया कि उसका परिणाम बीजेपी की जीत के रूप में दिख रही है.
4. राहुल का हिंदुत्व, जनेऊ और मंदिर यात्रा
गुजरात चुनाव में राहुल गांधी का हिंदुत्व प्रेम साफ देखने को मिला. यही वजह है कि गुजरात चुनाव अभियान के शुरू होते ही राहुल गांधी मंदिरों के चक्कर लगाने लगे. हालांकि, अभी तक की भविष्यवाणियों को देखें तो इसका फायदा राहुल न मिलकर इसका घाटा ही देखने को मिल रहा है. कारण कि बीजेपी राहुल के अचानक वाले हिंदुत्व प्रेम को लोगों के बीच भुनाने में कामयाब रही. हर जहग जा-जाकर राहुल गांधी के मंदिर दौरों को लेकर हमला करना और उनके हिंदू होने पर सवाल उठाना आदि बातें सभी बीजेपी के पक्ष में ही जाती दिख रही हैं. बीजेपी के हाथ सबसे मजबूत हथियार तो उस वक्त लगा जब सोम मंदिर में राहुल गांधी का नाम एक गैर-हिंदू रजिस्टर में लिखा मिला. इस बात पर बीजेपी इतनी हमलावर हो गई कि कांग्रेस को सारे सबूत सामने रखने पड़े और जनेऊ वाली फोटो तक दिखानी पड़ी. यूपी के सीएम योगी ने तो राहुल के पूजा करने के पोजिशन को लेकर भी सवाल उठा दिया और कहा कि वो मंदिर में ऐसे पूजा करते हैं जैसे नमाज पढ़ रहे हों. कुल मिलाकर देखा जाए तो गुजरात चुनाव में राहुल का हिंदुत्व प्रेम उनके लिए घाटे का सौदा ही दिख रहा है.
5. स्टार प्रचारकों की फौज और शाह की रणनीति
बीते लोकसभा चुनाव के बाद से जहां भी बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हुई, उसकी जीत में अमित शाह की रणनीति की अहम भूमिका रही है. गुजरात चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. कांग्रेस सत्ता की कुर्सी के आस-पास भी न भटके इसके लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति तो बनाई ही साथ में उसने स्टार प्रचारकों की फौज खड़ी कर दी थी. गुजरात की जनता को भगवा रंग में रंगने के लिए स्टार प्रचारकों में मोदी, शाह, राजनाथ, नितिन गडकरी, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, स्मृति ईरानी, उमा भारती, कलराज मिश्र, मेनका गांधी, राम विलास पासवान, मुख्तार अब्बास नकवी, पीयूष गोयल, महेश शर्मा, वी के सिंह जैसे भाजपा के कद्दावर नेता शामिल थे. इन नेताओं की फौज ने गुजरात में बीजेपी के पक्ष में हवा बनाने का पूरा काम किया और जो भी रही-कसर बाकी थी, उसे खुद पीएम मोदी ने पूरा कर दिया. हालांकि, इस बात को भी नहीं नकारा जा सकता कि अमित शाह की अहम रणनीति बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को जोड़ना और डोर-टू-डोर कैंपेन भी गुजरात की जीत में अहम भूमिका निभाएगी.