भाजपा के बढ़ने और विपक्ष के सिमटने के पीछे की पूरी कहानी
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। देश में भाजपा का तेजी के साथ फैलाव होता जा रहा है। भाजपा की मदद से नीतीश की सरकार बनने के बाद भगवा रंग में रंगे राज्यों की सूची में एक और नाम जुड़ गया। इसके बाद देश के कुल 29 और दो संघ शासित राज्यों में से सोलह में भाजपा या उनकी मदद से सरकार चल रही है। जबकि, दशकों तक देश पर राज करनेवाली कांग्रेस हाशिए पर आ गई है और ये आंकड़ा दहाई से भी कम यानि छह रह गया है। आईये हम आपको बताते है किस तरह से भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए तेजी से अपना दायरा फैलाया और जिन राज्यों में भगवा नहीं है वहां पर पार्टी की मजबूती के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है। साथ ही, क्यों कांग्रेस आज राजनीतिक के हाशिये पर खड़ी है?
देश के 16 राज्यों में लहराया भगवा
हाल में भारतीय जनता पार्टी को दो राज्य उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बहुमत मिला और पार्टी को पूरे देश में पहली बार अपने आपको इतने बड़े फैलाव का मौका मिला। गोवा और मणिपुर में भी भाजपा बहुमत में कुछ कमी के बावजूद सरकार बनाने में कामयाब रही। ऐसे में अगर देश के मानचित्र को देखें तो अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, बिहार, आन्ध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर में भाजपा या भाजपा के समर्थन से बनी सरकार है।
सिर्फ छह राज्यों में सिमट गई कांग्रेस
इसे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की कमी कहें या फिर कुछ और लेकिन यह एक बड़ा सच है कि आज देश के मानचित्र से कांग्रेस तेजी से विलुप्त होती जा रही है। हालत ये हो गई है कि दशकों तक देश पर राज करनेवाली कांग्रेस सिर्फ छह राज्यों में सिमट कर रह गई है। ऐसे में यह बड़ा वाजिब सवाल है कि कांग्रेस के तेजी से पतन का क्या कारण है। राजनीति के जानकारों की मानें तो जिस तरह से शीर्ष नेतृत्व में फैसले लेने की अक्षमता सामने आयी ऐसे में पार्टी कमजोर हो रही है। यही वजह है कि लगातार कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं।
गैर भाजपा राज्यों के लिए शाह की खास रणनाति
एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी का तेज़ी से फैलाव हुआ है और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी असम जैसे उन राज्यों में भगवा लहराने में कामयाब रही जहां पार्टी अब तक दस्तक नहीं दे पाई थी तो पार्टी इसे अपने लिए बड़ी कामयाबी मान रही है। ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी की अगली रणनीति उन दक्षिणी राज्यों में अपने प्रभाव को बढ़ाने की है जहां पर पार्टी अब तक कोई खास करिश्मा नहीं कर पाई है वो चाहे बात केरल की हो, पश्चिम बंगाल की हो या फिर तमिलनाडु और उड़ीसा की।
बीजू जनता दल की सरकार वाले पूर्वी प्रदेश ओडिशा में भाजपा ने अप्रैल में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर इस बात के संकेत दिए कि अब उनका अगला निशाना ये राज्य भी हैं। यहां पर कार्यकारिणी में हिस्सा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो के दौरान जिस तरह लोगों की प्रतिक्रिया देखने को मिली थी वह पार्टी के लिए काफी उत्साहजनक थी।
पश्चिम बंगाल से दक्षिण तक भाजपा की नई रणनीति
पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को अब सबसे बड़ा खतरा भारतीय जनता पार्टी के फैलते दायरे से है। यही वजह है कि अब ममता बनर्जी धुरविरोधी वामपंथी पार्टियों की जगह अब भाजपा को मानने लगी है जिनकी अगुवाई वाली सरकार में वह कभी केन्द्रीय मंत्री रह चुकीं हैं।
यहां पर पिछले दिनों अमित शाह ने कई दिनों का दौरा कर प्रदेश स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए नई ऊर्जा के संचार का आहवान किया और दीदी के शासन पर जमकर बरसे। तो वहीं दूसरी तरफ केरल से लेकर तमिलनाडु तक भाजपा लगातार अपना पैर फैलाने की कोशिश कर रही है।