नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब तक का सबसे बड़ा फैसला लेने वाली है। खबर के मुताबिक अब देश में अलग अलग होने वाले राज्यों की विधानसभा के चुनाव और केंद्र में लोकसभा के चुनाव को एक साथ कराने का विचार चल रहा है और जल्द ही इसे अमल में लाया जा सकता है। सरकारी स्तर पर भी इस बात को लेकर चर्चा काफी तेजी से चल रही है और कयास तो यहां तक लगाए जा रहे हैं कि अगला लोकसभा चुनाव 2019 में न होकर 2018 नवंबर-दिसंबर में ही संपन्न हो जाएगा। ऐसा कदम विधानसभा और लोकसभा चुनाव को समकालीन बनाने के लिए उठाया जाएगा।
इस मुद्दे को लेकर लोक सभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप समेत अन्य सचिवों से भी राय ली जा रही है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी पहले भी लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दे चुके हैं।
खबर के मुताबिक संविधान में भी इस बात का प्रावधान है कि बिना संवैधानिक संशोधन के चुनाव की तय मियाद के छह महीने पहले तक चुनाव कराए जा सकते हैं। वहीं इस बात को लेकर सुभाष कश्यप का कहना है कि “अगर आगामी लोक सभा चुनाव छह महीने के अंदर होने हैं तो चुनाव आयोग छह महीने पहले चुनाव करा सकता है। इसके लिए संविधान में बदलाव नहीं करना होगा।” लेकिन अगर चुनाव 2019 के बजाय 2018 में कराने हैं तो इसके लिए केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार को अन्य राज्यों की सरकार और अन्य विपक्षी दलों से एक आम सहमति बनानी होगी।
बताते चलें कि अगले साल यानी 2018 में राजस्थान समेत मध्य प्रदेश, मिजोरम और छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव होने हैं। जिसमें से केवल मिजोरम में ही भाजपा की सरकार नहीं है बाकी अन्य राज्यों में भाजपा ही शासन में है। वहीं साल 2017 के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधान सभा चुनाव होने है और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव समेत आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भी कमर कस ली है।
इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी अपना दबदबा बनाए रखने के लिए जोर शोर से तैयारी में लगी है और जिसको लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूरे देश में यात्रा भी कर रहे हैं। शाह ने अपनी इस यात्रा की शुरुआत गुजरात में ही एक दलित बीजेपी नेता के घर खाना खाकर की थी।