प्याज की महंगाई पर केंद्र सतर्क, कीमतें काबू करने के लिए 2 हजार टन इम्पोर्ट होगा

Center alert on onion inflation To control prices 2 thousand tonnes will be imported Samastipur Now
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नई दिल्‍ली ।   महंगी हो चुकी प्याज पर अब सरकार अलर्ट होती नजर आ रही है। कीमत काबू करने के लिए अब 2 हजार टन प्याज इम्पोर्ट की जाएगी। यह जानकारी बुधवार को फूड एंड कंज्‍यूमर अफेयर्स मिनिस्‍टर राम विलास पासवान ने दी। सरकारी एजेंसियां नाफेड और एसएफएसी सीधे किसानों से 12 हजार टन खरीदेंगी। पासवान के मुताबिक- हमने कॉमर्स मिनिस्‍ट्री से प्‍याज पर 700 डॉलर प्रति टन एक्‍सपोर्ट फ्लोर प्राइस भी फिर से लगाने के लिए कहा है, ताकि एक्‍सपोर्ट कम किया जा सके। बता दें कि सप्‍लाई कम होने के चलते खुदरा बाजार में प्‍याज 50 से 65 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।

किसानों से सीधे खरीद

पासवान ने कहा-  नेशनल एग्रीकल्‍चर कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नाफेड) 10 हजार टन और स्‍माल फार्मर्स एग्रीकल्‍चर बिजनेस कंसोर्टियम (एसएफएसी) 2000 टन प्याज सीधे किसानों से खरीदेगी। इसे उन जगहों पर बेचा जाएगा, जहां डिमांड ज्यादा है। एमएमटीसी से 2000 टन प्‍याज इम्‍पोर्ट करने के लिए भी कहा जा चुका है।

11 हजार टन से ज्‍यादा इम्‍पोर्ट

  • पिछले कुछ महीनों में प्राइवेट ट्रेडर्स ने 11400 टन प्‍याज इम्‍पोर्ट किया।
  • अब सरकार सरकारी एजेंसी एमएमटीसी को यह जिम्‍मेदारी दी गई है।
  • एमएमटीसी जल्‍द ही इसके लिए टेंडर जारी करेगी।
  • अगस्‍त तक प्‍याज की कीमतें सामान्‍य थीं। अब ये काफी बढ़ चुकी हैं।
  • इसलिए कीमतें कम करने और सप्‍लाई बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

एक्‍सपोर्ट कम करने का प्‍लान

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पासवान ने कहा- हमने कॉमर्स मिनिस्‍ट्री से प्‍याज पर मिनिमम एक्‍सपोर्ट प्राइस (MEP) फिर लगाने की सिफारिश की है। दिसंबर 2015 में ये हटा लिया गया था। कॉमर्स मिनिस्‍ट्री भी प्‍याज पर 700-800 रुपए प्रति टन MEP लगाने पर विचार कर रही है। इस बारे में मिनिस्‍ट्री ने एक्‍सपोर्टर्स और दूसरे पक्षों से बातचीत की है। MEP वो कीमत होती है, जिससे कम पर एक्‍सपोर्ट नहीं किया जा सकता।

घरेलू बाजार में क्‍यों महंगी हुई प्याज?

घरेलू मार्केट में कीमतें बढ़ने की अहम वजह पुराना स्‍टॉक खत्म होना और नई खरीफ फसल का बाजार में कम आना है। महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, मध्‍य प्रदेश, बिहार और गुजरात में प्याज की फसल ज्यादा होती है।

56% बढ़ा एक्‍सपोर्ट

भारत का प्‍याज एक्‍सपोर्ट इस साल अप्रैल-जुलाई के दौरान 56 फीसदी बढ़कर 12.29 लाख टन हो गया। वैल्‍यू के हिसाब से बात करें तो अप्रैल-जुलाई 2017 के दौरान प्‍याज का एक्‍सपोर्ट 47.69 फीसदी बढ़कर 1,443.09 करोड़ रुपए हो गया। पिछले साल इसी दौरान यह 977.84 करोड़ रुपए था।
एक्सपोर्ट बढ़ने की दो वजहें हैं। पहली- प्‍याज पर कोई भी मिनिमम एक्‍सपोर्ट प्राइस (MEP) नहीं था। दूसरा, इंटरनेशनल मार्केट में इसका महंगा होना। एक्‍सपोर्ट से इस फाइनेंशियल ईयर के पहले र्क्‍वाटर में किसानों को अपने प्रोडक्‍ट का बेहतर दाम मिला, उस दौरान घरेलू बाजार में भी प्याज सस्ती थी।

लोकल सप्‍लाई बढ़ाने के लिए हो रहा इम्‍पोर्ट

कंज्‍यूमर अफेयर्स मिनिस्‍ट्री के मुताबिक, लोकल सप्‍लाई बढ़ाने के लिए सरकार ने प्राइवेट ट्रेडर्स के जरिए प्‍याज इम्‍पोर्ट की फैसेलिटी दी थी। उन्‍होंने अबतक विदेशी मार्केट से 11,400 टन प्‍याज खरीदा है। मिनिस्‍ट्री के एक सीनियर अफसर ने बताया कि नई खरीफ फसल इस साल 10 फीसदी कम रह सकती है क्‍योंकि बुवाई में 30 फीसदी कमी देखी गई है। फसल की कटाई पूरी होने के बाद प्‍याज की फसल के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी।

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