नौकरी के नाम पर महज दो-दो हजार रूपये में दलाल करते हैं लड़कियों का सौदा
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Bilaspur। Chhattisgarh के Jashpur जिले स्थित Kunkuri Police Station में एक आदिवासी लड़की ने शिकायत दर्ज करा बताया है कि उसे नौकरी दिलाने के नाम पर Odisha ले जाया गया और वहां जिस्मफरोशी में धंधे में धकेल दिया गया। यह लड़की किसी तरह बच निकली। उसने बताया कि वह अकेली नहीं थी, बल्कि 60 और लड़कियां भी उसके साथ थीं, जिन्हें Placement Agency के दलाल नौकरी दिलाने के नाम पर ओड़िशा ले गए थे। वहां इन्हें बेच दिया गया। ग्राम जोकारी निवासी इस लड़की ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि शेष 60 लड़कियां अभी भी वहां फंसी हुई हैं।
यह घटना एक ज्वलंत उदाहरण है। जो बयां कर रही है कि आदिवासी बहुल राज्यों में गरीब आदिवासी लड़कियों को दलाल अपने जाल में फांसने में कामयाब हो जा रहे हैं। शहरों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर इन्हें जिस्म की मंडी में बेच दिया जा रहा है।
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Jashpur में सक्रिय कुछ NGO की बात पर यकीन करें तो हालात यह हैं कि महज दो से पांच हजार रुपये में लड़कियों को बेच दिया जाता है। पहले इन्हें इनके जान- पहचान वाले या रिश्तेदार ही चंद रुपयों की लालच में एजेंटों को सौंप देते हैं। फिर एजेंट इन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर शहर ले जाकर बेचते हैं। इसने चंगुल में फंसी लड़की को एक नहीं कई बार बेचा जाता है।
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Jharkhand, Odisha और Chhattisgarh में यह घिनौना कारोबार धड़ल्ले से जारी है। Chhattisgarh में Private Placement Agency act (2013) अगस्त 2014 से लागू है। लेकिन हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। Jashpur जिला अब भी मानव तस्करी का केंद्र बना हुआ है।
स्वयं सेवी संस्थाओं ने मानव तस्करी के मामले में Chhattisgarh को देश का 3rd position का राज्य आंका है। जबकि Jharkhand 1st और Odisha को 2nd position पर बताया जा रहा है। आदिवासी बहुल Jashpur जिले में लड़कियों की खरीद-पुरोख्त एक बाजार का रूप ले चुकी है। इसका खुलासा छह साल पहले तब हुआ जब स्वयं सेवी संस्था ग्रामीण विकास केंद्र Kunkuri ने एक सर्वे किया। इसमें सामने आया कि जिले से हर साल औसतन सात हजार लड़कियों को महानगरों में बेच दिया जा रहा था।
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उक्त संस्था ने 259 गांवों के अध्ययन में पाया था कि बेची जाने वाली लड़कियों में से 1833 लड़कियां जहां नाबालिग थीं, वहीं 509 वयस्क। लड़कियों को बेचने वालों में जान पहचान के लोग ही शामिल रहते हैं। हाल के दिनों में भी ऐसे प्रकरण लगातार सामने आ रहे हैं। Police के पास वे ही Case पहुंचते हैं, जिनमें शिकायत दर्ज कराई जाती है। पिछले पांच सालों में Jashpur में only 99 प्रकरण ही दर्ज हुए। Placement Agency पर नकेल कसने वाला Chhattisgarh देश का 1st State जरूर हो गया है, लेकिन बताया जाता है कि इस Act के तहत State में एक भी Placement Agency का पंजीयन नहीं हुआ है।
महिला महासंघ की समन्वयक Ms Mamta Kuzur का कहना है कि समय के साथ पंचायत प्रतिनिधि सहित जमीनी स्तर पर जुड़े सरकारी तंत्र को प्रशिक्षण दिया जाए तो मानव तस्करी के मामलों पर नियंत्रण संभव है। लेकिन विभागीय समन्वय का अभाव इस समस्या के रोकथाम में बाधा बनता है।
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