अगर नियम तोड़े गये हैं तो फिर संजय दत्त जेल भेजे जा सकते हैं : महाराष्ट्र सरकार
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मुंबई: अभिनेता संजय दत्त के लिए बुरी खबर आ रही है. संजय दत्त की समय से पहले हुई रिहाई के मामले में आज बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार ने दलील देते हुए कहा कि, अगर संजय दत्त को पैरोल या फर्लो देने में किसी भी प्रकार के नियम तोड़े गये हैं तो सरकार को संजय दत्त को जेल भेजने में कोई एतराज नहीं है. महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि अगर संजय दत्त का वीआईपी स्टेटस देखकर उन्हें पैरोल दिये गये थे तो उन्हें वापस जेल भेज देना चाहिए. दरअसल दत्त को उनके अच्छे आचरण के कारण फरवरी 2016 में निर्धारित समय से करीब आठ महीना पहले ही यरवदा जेल से रिहा कर दिया गया था.
न्यायमूर्ति आर एम सावंत और न्यायमूर्ति साधना जाधव की पीठ ने पिछले महीने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि किन आधारों पर दत्त को समय से पहले रिहा किया गया. उन्हें कैसे पता चला की संजय दत्त का जेल में बर्ताव अच्छा था. उन्हें इस बात को चेक करने का समय कब मिला जबकि आधे टाइम तो वो परोल पर जेल से बाहर ही थे. आज राज्य सरकार के वकील ने एक बयान में कहा कि यह केस पीआईएल के तहत आया है और अगर कानून को तोड़ा गया है तो सरकार संजय दत्त को फिर से जेल भेज सकती है.
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कितना परोल
जांच और लंबी सुनवाई के दौरान दत्त ने जेल में डेढ़ साल बिताया. मुंबई की टाडा अदालत ने 31 जुलाई, 2007 को संजय दत्त को शस्त्र अधिनियम के तहत छह साल के कड़े कारावास की सजा सुनायी थी और 25000 रुपये का जुर्माना लगाया था. उच्चतम न्यायालय ने 2013 में फैसले को कायम रखा, लेकिन सजा को घटाकर पांच साल का कर दिया. इसके बाद दत्त ने बाकी सजा काटने के लिए आत्मसमर्पण कर दिया था. दत्त को जेल में सजा काटने के दौरान दिसंबर 2013 में 90 दिन की परोल दी गयी थी. बाद में 30 और दिन की पैरोल दी गयी थी.
गौरतलब है कि संजय दत्त को हथियार रखने के मामले में पांच साल कैद की सजा सुनायी गयी थी. ये हथियार 1993 के विस्फोटों में इस्तेमाल खेप का हिस्सा थे. मुकदमे के दौरान जमानत पर चल रहे संजय दत्त ने उच्चतम न्यायालय द्वारा उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखे जाने के बाद मई 2013 में आत्मसमर्पण कर दिया था. दत्त को पुणे की यरवदा जेल में उनके अच्छे आचरण को देखते हुए आठ महीने पहले फरवरी 2016 में रिहा कर दिया गया था.
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