समस्तीपुर। सर्वाधिक भूमि विवाद वाले अंचल पटोरी में अबतक स्थायी सरकारी अमीन की कमी लगातार जारी है। एक ओर जहां सरकार भूमि विवाद को गंभीरता से ले रही है और इसके निपटारे के लिए हर कदम उठाए जाने की घोषणा कर रही है वहीं पटोरी अंचल में विगत छह वर्षों से कोई भी सरकारी स्थायी अमीन की पदस्थापना नहीं की गई है। नतीजा यह है कि सामान्य भूमि विवाद से संबंधित मामले मापी न होने के कारण लम्बे समय से लटके हैं। पटोरी अंचल के अधीन आनेवाले 17 पंचायतों के कई ऐसे विवादित मामले हैं जिनकी भूमि की मापी अमीन नहीं रहने के कारण लम्बे समय से लंबित है। निजी स्तर पर अपने-अपने अमीन रखकर यदि दोनों पक्ष मापी करवाते हैं तो उसपर आम सहमति नहीं बन पाती। पटोरी में लगभग कुछ समय तक हुई परेशानी को देखते हुए मोरवा के अमीन को अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। जिनके जिम्मे पटोरी, पूसा, मोरवा के अतिरिक्त भू-अर्जन कार्यालय के विभिन्न कार्यों का बोझ था। नतीजा यह कि उनको सप्ताह में भी समय नहीं मिल पाता था। बाद में इसकी अतिरिक्त व्यवस्था की गई किन्तु स्थायी व्यवस्था न होने से समस्या जस की तस बनी रही गई। मापी के कार्यों के लिए समय लेना पड़ता ह और बाहर से अमीन से समय लेकर तिथि निर्धारित करनी पड़ती है। जिसमें कुछ महत्वपूर्ण विवादों का ही निपटारा किया जाता है।
कठिनाइयां :
– छह वर्षों से है स्थायी अमीन का अभाव
– बाहर से बुलाने पड़ते हैं अमीन
– नहीं हो पाता है सभी विवादों का मापी के द्वारा निपटारा
– बाहर से आनेवाले सरकारी अमीन पर रहता है कार्य का अतिरिक्त बोझ
– 100 से अधिक गंभीर विवादित मामला है लंबित
– 17 पंचायतों में कई मामलें हैं संगीन
– भू-मापी के अभाव में कई क्षेत्रों में है आपसी तनाव
समाधान
चकबंदी सेवा बंद करने के बाद अमीनों की सेवा राजस्व कर्मचारी के रूप में ली जा रही है। अभी भी प्रत्येक अंचल में एक-दो ऐसे कर्मी हैं जो अमानत जानते है। यदि उन्हें इस कार्य का दायित्व सौंपा जाए तो वर्तमान समस्या से निजात मिल सकती है।
कहते हैं अधिकारी
अमीन के नहीं रहने पर परेशानियां अवश्य होती हैं किन्तु प्रभारी अमीन से ही वरीयता के आधार पर कार्य कराकर मापी संबंधी विवादों का निपटारा किया जाता है।