Islamic Shayari By S A Siddique

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हर बार तेरी आजमाइशों में फेल हो जाता हूं
इंसान हूँ तेरी अजमाइशें समझ नहीं पाता हूँ
निकाल देता है तु हर बार मुसिबतों से मुझे
और मैं अपने नअकली के वजह से हर बार नई मुसिबातो में फंस जाता हूं
शुक्र है तेरा और तेरे हर एक नेमातो का ऐ मेरे खुदा
तेरी नेमातें न होती मुझ पर ऐ मेरे परवरदिगार तो आज मैं न होता, मैं न होता

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