अद्भुत: चने की दाल पर बना डाला मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा व चर्च

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समस्तीपुर । शारिक रहमान लवली की कलाकारी ऐसी कि लोग अचंभित हुए बिना नहीं रह सकते। बिना गुरु ज्ञान के इन्होंने एक से बढ़कर एक कलाकृतियां बनाई हैं। चने की दाल पर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं चर्च बनाया है। मुट्ठी में समा जाने वाली इनकी पुस्तक ‘अमन और अभिलाषा’ आज के संदर्भ में प्रासंगिक है।

लवली इस अनोखी कला की साधना पिछले आठ साल से कर रहे हैं। उनकी शुरुआत की कहानी दिलचस्प है। पढ़ाई के दौरान नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लगाव था। सरस्वती पूजा के दौरान साज-सज्जा की जिम्मेवारी इन्हें दी जाती थी। तब से उन्होंने इस तरह का प्रयोग शुरू किया। कोई गुरु नहीं।

खुद के प्रयास से सीखते-सीखते महारत हासिल कर ली। वे हवा में उड़ते हुए हनुमान, हंस पर बैठीं मां सरस्वती, झूला झूलते राधा-कृष्ण और गिरिजाघर में प्रार्थना करते पादरी सहित 15 से अधिक कलाकृतियों को जीवंतता प्रदान कर चुके हैं। ये मसूर की दाल पर भी कलाकृतियां बनाते हैं।

शुरुआती दौर में इन्हें 10 से-15 दिन एक कलाकृति बनाने में लगते थे। अब तो एक दिन में ही बना लेते हैं। कहते हैं कि अब तक मैंने कहीं प्रदर्शित नहीं किया, सो पुरस्कार से भी वंचित हूं।

हालांकि एयर इंडिया की ओर से रेस फॉर अवेयरनेस एंड नॉलेज के लिए 2008-09 का रैंक अवार्ड और भारतीय साहित्यकार संसद समस्तीपुर की ओर से 2008 में उपेंद्र महारथी पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। लवली पहली बार में वार्ड पार्षद बन गए। इसके बाद वे नगर परिषद के उपाध्यक्ष भी चुने गए।

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दे रहे शांति का संदेश

लवली ने मुट्ठी में समा जाने वाली पुस्तकों के जरिए शांति का संदेश दिया है। तीन पुस्तकों की रचना की है। इसमें अमन, अभिलाषा और पीस शामिल हैं। पीस की लंबाई-चौड़ाई एक गुणा तीन मिमी है। वहीं अमन की लंबाई-चौड़ाई आठ गुणा छह एमएम है। इसमें 76 पेज तथा 400 शब्द हैं।

इस पुस्तक में उन्होंने सभी धर्म के सार को पिरोया है। पुस्तक के पन्ने सात विभिन्न रंगों में हैं। अभिलाषा की लंबाई-चौड़ाई चार गुणा चार मिमी है। इसमें 42 पृष्ठ हैं। 108 शब्दों में रचित इस पुस्तक में उन्होंने कई कविताएं भी लिखी हैं। कविताएं शांति का संदेश देती हैं।

कहा-भवन निर्माण एवं आवास विभाग ने

‘लवली शुरू से ही सांप्रदायिक सौहार्द एवं समाज की उन्नति के प्रति रचनात्मक सोच रखते हैं। इनकी कलाकृतियां भी महान संदेश देती हैं।

– महेश्वर हजारी मंत्री, भवन निर्माण एवं आवास विभाग, बिहार सरकार।

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