खुले में डाला जा रहा कूड़ा

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समस्या. नगर परिषद के पास कचरा प्रबंधन के लिए जमीन नहीं

समस्तीपुर  : शहर में प्रतिदिन उठने वाले कचरे के निस्तारण के लिए कोई ठोस इंतजाम नगर परिषद के पास नहीं है़   हालत यह है कि मोहल्लों व सड़कों से उठाये गये कचरे को शहर के बाहरी हिस्से मालगोदाम रोड स्थित गड्ढों में फेंका जाता है, जिससे उठने वाली तेज बदबू से आसपास के लोगों का जीना मुहाल हो जाता है.
हालांकि, नगर परिषद प्रशासन का दावा है जल्द ही कचरा प्रबंधन के लिए भूमि उपलब्ध कराने की पहल की जायेगी़  कचरा प्रबंधन की बड़ी समस्या जमीन को लेकर पैदा हो रही है. जमीन खरीदने या लीज पर जमीन प्राप्त कराने के लिए नप प्रशासन दो बार टेंडर निकाल चुकी है, लेकिन किसी ने इस ओर अभिरुचि नहीं दिखायी़  बता दें कि पूर्व के दिनों में नगर विकास व आवास विभाग ने नप को आबादी के अनुसार भविष्य में कितनी मात्र में कचरा निस्तारण की आवश्यकता होगी, ध्यान में रखते हुए नप को जमीन की खरीद करने का निर्देश दिया था.
63 मीटरिक टन निकलता है कचरा : शहर में हर दिन 63 मीटरिक टन कचरा निकलता है़   इसमें लगभग 80 फीसदी कचरे का उठाव हो पाता है़  20 फीसदी कचरा शहर की सड़कों व गलियों में बिखरा रहता है़   58 फीसदी कचरा घरों से निकलता है़   14 मीटरिक टन कचरे में पॉलीथिन की मात्र सबसे अधिक होती है. सभी नालों से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
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तक पॉलीथिन ही पॉलीथिन
दिखता है़  शहर में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार राशि
देगी़ लेकिन नप प्रशासन के पास इसके लिए भूमि ही नहीं है़   चिकित्सक एके आदित्य का कहना है कि कचरा
लोगों के स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. कचरे से रिसकर जहरीला रसायन जमीन, हवा व पानी को दूषित कर रहा है. इनके पास रहने वाली आबादी अनेक गंभीर बीमारियों जैसे मलेरिया, टीबी, दमा और चर्म रोगों से पीड़ित हैं. कचरे का अगर सही प्रबंधन हो, तो बेहतर होगा.
प्रथम किस्त की राशि विमुक्त
स्वच्छ भारत मिशन शहरी योजना से शहरी विकास मंत्रालय ने कचरा प्रबंधन के लिए केद्रांश की प्रथम किस्त की राशि सहायक अनुदान के रूप में विमुक्त कर दी है.  स्वीकृत 1134 करोड़ में प्रथम किस्त के 70 करोड़ रुपये नगर विकास व आवास विभाग को मिले हैं. इस राशि को जल्द ही नप को मुहैया कराया जायेगा़   यह राशि बुडा के माध्यम से नप प्रशासन को प्राप्त होगा़   साथ ही यूसी भी देना होगा़  केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी राशि से हर नगर निकाय में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए मशीन, उपकरण की खरीद व प्लेटफॉर्म का विकास किया जायेगा.
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