पश्चिमी दिल्ली :उत्तम नगर को हाल ही में नया टर्मिनल मिला है। इसके बावजूद यहां समस्याएं आज भी कायम हैं। टर्मिनल की सबसे बड़ी समस्या यहां घंटों खड़ी रहती क्लस्टर बसें हैं, जो टर्मिनल का अधिकांश हिस्सा घेरे रहती हैं। जगह के अभाव में अन्य बसें टर्मिनल के बाहर से ही वापस हो जाती हैं, वहीं कई बसों को टर्मिनल में प्रवेश के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। कतारों में खड़ी बसें टर्मिनल में जाने की बाट जोहती हैं, जो कई बार सड़क पर जाम की वजह बन जाती है। अगर अंदर प्रवेश मिल भी जाए तो बाहर निकलना काफी मुश्किल साबित होता है। कई बसें तो टर्मिनल में न आकर आसपास सड़कों पर खड़ी रहती है, जिससे जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। समस्या का सबसे अधिक सामना डीटीसी बस चालक व यात्रियों को करना पड़ता है।
जानकारी के मुताबिक उत्तम नगर टर्मिनल से रोजाना करीब 1500 बसें गुजरती हैं। इनमें आधी क्लस्टर व आधी डीटीसी की बसें हैं। पहले टर्मिनल का इस्तेमाल सिर्फ डीटीसी बसों द्वारा होता था, लेकिन अब क्लस्टर बसें भी यहां आती हैं। इनकी तादाद बढ़ती ही जा रही है, लेकिन टर्मिनल में जगह उतनी की उतनी ही है। टर्मिनल के अंदर पांच कतार है, जहां से बसें मुड़ती हैं। कई बस चालक अपना एक चक्कर पूरा करने के बाद घंटों टर्मिनल में बस को खड़ा कर इधर-उधर निकल जाते हैं। देखते ही देखते चारों कतारों में बसों का जमावड़ा लग जाता है। कतारों में बेतरतीब ढंग से खड़ी बसों के कारण डीटीसी बस चालकों को प्रवेश द्वार से बाहर निकलने वाले द्वार तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसमें समय के साथ ईधन की भी काफी बर्बादी होती है। इस परेशानी से बचने के लिए अधिकांश बस चालक टर्मिनल में आने से बचते हैं और जनकपुरी पंखा रोड पर बसें खड़ी कर देते हैं। ये बसें सड़क का अधिकांश हिस्सा घेरे रहती है। ऐसे में वहां जाम की समस्या बनी रहती है। बस चालकों के अलावा यात्रियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। टर्मिनल से पहले ही बस से उतर कर लोगों को आगे का सफर पैदल तय करना पड़ता है। चिलचिलाती धूप में लोगों को खुले आसमान के नीचे बस का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में टर्मिनल में बने शेल्टर के प्रयोग से यात्री वंचित रह जाते है।
प्रवेश व निकास द्वार पर पसरा अतिक्रमण
उत्तम नगर टर्मिनल के प्रवेश व निकास द्वार पर अतिक्रमण पसरा पड़ा है। रेहड़ी वालों के जमावड़े के कारण बसों को टर्मिनल में प्रवेश व निकलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अतिक्रमण के कारण गंदगी की परेशानी से यात्रियों को दो-चार होना पड़ता है। बस टर्मिनल की सर्विस लेन पूरी तरह अतिक्रमण से त्रस्त है।
नहीं शुरू हुई कैंटीन
टर्मिनल परिसर में स्थित कैंटीन तीन वर्ष से बंद पड़ी है। टर्मिनल के नवीनीकरण के बाद भी इसे अब तक शुरू नहीं किया गया है। कैंटीन की जगह को स्टोर रूम में तब्दील कर दिया गया है। कैंटीन की सुविधा न होने के कारण बस चालकों व यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खाने की तलाश में लोगों का यहां-वहां भटकना पड़ता है। टर्मिनल से रोजाना सैकड़ों बसें गुजरती हैं। ऐसी परिस्थिति में टर्मिनल परिसर में कैंटीन की अहमियत को समझा जा सकता है।
नहीं है रोशनी का प्रबंध
शाम ढलने के बाद टर्मिनल में चारों ओर अंधेरा छाया रहता है। इसे लोगों का डर कहें या मजबूरी कि वह शाम ढलते ही टर्मिनल में प्रवेश नहीं करते बल्कि बाहर खड़े होकर ही बस का इंतजार करते हैं। दिल्ली के मुख्य टर्मिनल में शुमार उत्तम नगर टर्मिनल से दिल्ली के हर कोने के लिए बस जाती है। ऐसे में यह अंधेरा होना टर्मिनल की उपेक्षा को दर्शाता है। स्ट्रीट लाइट का खंभा है, बल्ब है लेकिन वहां बल्ब जलते नहीं है। टर्मिनल में अंधेरा होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। रात में टर्मिनल में प्रवेश खतरे से खाली नहीं है। नजदीक में ही उत्तम नगर पुलिस थाना है। इसके बावजूद इसके यहां सुरक्षा व्यवस्था चौपट है। टर्मिनल से निकलते व प्रवेश करते समय बस चालक को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।