हीमेटोमा से हुई थी नवजात की मौत

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बर्थ ऐक्सिफक्सिया से ग्रस्त पैदा हुआ था शिशु

चिकित्सकीय परीक्षण में सामने आया मामला
समस्तीपुर : गत दिनों शहर के एक निजी क्लिनिक में इलाज के दौरान नवजात की हुई मौत के मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. मृत नौनिहाल के पिता मुफस्सिल थाना क्षेत्र के चकअशरफ वार्ड संख्या नौ निवासी सर्वदीप पासवान ने मौत की परिस्थितियों को लेकर जिस तरह से चिकित्सक व उसके कर्मी को कटघरे में खड़ा किया है इसके विपरीत बच्चे की सेहत की ओर कोई खासी तबज्जो नहीं दी गयी है. शिशु की मौत के बाद परिजनों की ओर से उठाये जा रहे सवालों के बाद मामला जब पुलिस तक पहुंचा, तो मृत नवजात का अंत्यपरीक्षण कराने का फैसला हुआ. अंत्यपरीक्षण के बाद जो मामले सामने आ रहे हैं
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उस पर यकीन करें तो नौनिहाल की मौत का कारण हीमेटोमा है.
 सूत्रों का यह भी बताना है कि जन्म से ही शिशु बर्थ ऐक्सिफक्सिया नामक रोग से ग्रस्त पैदा हुआ था. इसकी वजह भी चिकित्सकीय नजर में काफी संवेदनशील हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, यदि गर्भवती महिला को शल्य चिकित्सा के द्वारा प्रसव कराने की दिशा में प्रयास किया जाता है, तो शायद शिशु को इस रोग से बचाया जा सकता था. इस दिशा में किसी की बारीक नजर गयी ही नहीं. नतीजा बच्चे के सिर की त्वचा व खोपड़ी के बीच रक्त का जमाव हो गया. इसके कारण धीरे-धीरे उसकी हालत नाजुक होती चली गयी. अंतत: शिशु की मौत हो गयी. बहरहाल सूत्रों के दावे में कितनी सच्चाई है यह तो अब न्यायालय में ही सामने आ सकेगा कि आखिर मौत की वजह क्या थी व इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं.
डॉक्टर व कर्मियों पर लगाया आरोप
गत गुरुवार को शहर के निजी क्लिनिक में इलाज के दौरान एक शिशु की मौत हो गयी. परिजन ने मौत के लिए चिकित्सक व कर्मी को आरोपित ठहराया. इस संबंध में मृत शिशु के पिता सर्वदीप पासवान ने नगर पुलिस को आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज करायी. इसमें कहा गया है कि 18 जुलाई को ताजपुर अस्पताल में बच्चे का जन्म हुआ था. वहां से कर्मियों ने उसे रेफर कर दिया. उसी रात उन्होंने समस्तीपुर शहर स्थित निजी अस्पताल में बच्चे को भरती कराया. अस्पताल के डॉ एस कुमार के  निर्देश पर कर्मी राजू व रामा ने बच्चे को एनआइसीयू में भरती कर इलाज शुरू कर दिया. इसी क्रम में गुरुवार की रात करीब 12.30 बजे अचानक बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी. कर्मियों से चिकित्सक को इसकी जानकारी देकर उन्हें बुलाने का अनुरोध किया गया, लेकिन डॉक्टर नहीं आये. सही वक्त पर इलाज नहीं हो पाने के कारण ही उसके बच्चे की मौत हुई है.
17 वर्ष में पहली बार गर्भवती हुई थी महिला
चकअशरफ निवासी सर्वदीप की शादी करीब 17 वर्ष पूर्व हुई थी. इस दौरान उसे कोई बच्चा नहीं हुआ था. पहली बार उसकी पत्नी मां बनी. सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ हेमंत कुमार चौधरी का कहना है कि इतने अंतराल के बाद मां बनी महिला का शुरू से ही खासा ध्यान रखा जाना चाहिए. विशेषज्ञ चिकित्सक के सानिध्य में उसका प्रसव होना चाहिए था. लेकिन उसे उस अस्पताल में दाखिल कराया गया जहां शल्य चिकित्सा के लिए मुकम्मल व्यवस्था नहीं थी. इतना ही नहीं, इस सबसे अनभिज्ञ परिजनों ने इस ओर कोई ध्यान भी नहीं दिया. वैसे अस्पतालकर्मियों को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी. डॉक्टरों की मानें, तो अब महिला एक बार मां बन गयी है, तो आगे उसकी गोद फिर से भर जाने की संभावना बलबती हो गयी है. परिजनों को पूरी तरह से सतर्क रहने की जरूरत है.
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