कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने तेज गेंदबाज शांताकुमारन श्रीसंत पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ओर से लगाए आजीवन प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए एकल पीठ के फैसले को मंगलवार को रद्द कर दिया। एकल पीठ के फैसले के खिलाफ बीसीसीआई की अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालय बोर्ड द्वारा लिये गये अनुशासनात्मक फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लागू रहेगा।
बीसीसीआई ने वर्ष 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था जिसे केरल उच्च न्यायालय की ही एकल पीठ ने इस वर्ष सात अगस्त को रद्द कर दिया था। इससे पहले दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने जुलाई 2015 में श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजीत चंदेला समेत सभी 36 आरोपियों को आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
7 अगस्त 2017 को इसी मामले में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड श्रीसंत के ऊपर लगाए प्रतिबंध को सही ठहराने में पूरी तरह से विफल रहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बोर्ड को फटकार भी लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि बोर्ड ने कार्रवाई करते वक्त सभी सबूतों पर ध्यान नहीं दिया। उसने सिर्फ एक हिस्से को आधार बनाते हुए उन पर बैन लगाया था।
यही कारण रहा कि बोर्ड की समिति सभी सबूतों तक नहीं पहुंच पाई। इसके बाद श्रीसंत को लगा था कि अब उन पर से ये बैन हटा दिया जाएगा. लेकिन हुआ उल्टा। बीसीसीआई ने एक सदस्यीय बेंच के इस फैसले को चुनौती दी। बोर्ड ने अपनी अपील करते हुए कहा है कि एस श्रीसंत पर बैन लगाने का फैसला उनके खिलाफ पाए गए ठोस सबूतों के आधार पर किया गया।
बोर्ड की आलोचना करते हुए श्रीसंत इससे पहले कह चुके हैं कि उनके खिलाफ बैन एक साजिश के तहत लगाया गया है। वह पूरी तरह से इस मामले में निर्दोष हैं। वह चाहते हैं कि बोर्ड उन पर से बैन हटा दे। श्रीसंत ने बोर्ड से कहा था कि वह कोई भीख नहीं मांग रहे हैंं, बल्कि बोर्ड से अपना हक मांग रहे हैं। बोर्ड को उन पर से तुरंत बैन हटा देना चाहिए।
हालांकि अब तक इस निर्णय पर श्रीसंत की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।