महापर्व छठ पूजा 2017: खरना 25 अक्टूबर को, पूजा विधि और महत्व

0 133
Above Post Campaign

नई दिल्ली: कार्तिक माह को पर्व त्योहारों वाला महीना कहा जाता है. दिवाली के त्योहार के बाद छठ महापर्व आता है. छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला महापर्व है. इस बार ये पर्व 24 तारीख से शुरू होगा और 27 को संपन्न होगा. इस बार 24 तारीख को नहाय खाय है. 25 तारीख को खरना 26 तारीख को सांझ का अर्ध्य और 27 तारीख को भोर का अर्ध्य है. छठ पूजा को भगवान सूर्य की उपासना का पर्व माना जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि घर में सुख-समृद्धि और संतान को लेकर ये पूजा की जाती है. छठ पूजा करने वाले को सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है और व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है. नहाय खाय के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं नहा-धोकर खाना बनाती हैं और उस दिन शुद्ध शाकाहारी भोजन करती हैं. इस दिन खाने में कद्दू, दाल और अरवा चावल जरूर होता है. इसके बाद का दिन खरना का दिन होता है. इस साल खरना 25 तारीख को है.

Middle Post Banner 2
Middle Post Banner 1

खरना यानी नहाय खाय के दूसरे दिन खरना होता है जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि होती है. इस दिन व्रतधारी दिनभर उपवास कर शाम को भगवान को प्रसाद का भोग लगाकर भोजन करते हैं. भोजन में गुड़ की खीर खाते हैं. इस दौरान किसी भी तरह की आवाज आने पर व्रती खाना छोड़ देते हैं. खरना वाले दिन खास तौर पर ध्यान रखा जाता है कि व्रती के कान तक किसी भी तरह का शोर ना जाए. खरना के दिन सड़कों पर कम से कम गाड़ियां चलती हैं. लोग ध्यान रखते हैं कि कहीं किसी तरह का शोर ना हो क्योंकि जरा सा भी शोर हुआ तो व्रती उसी वक्त खाना छोड़ देगा.

खरना के दिन गुड़ की खीर बनती है जिसमें साठी का चावल होता है. इसके अलावा मूली, केला और पंचरंग होता है. इन सबको मिलाकर पूजा की जाती है. खास बात ये है कि खरना का प्रसाद नये चुल्हे पर ही बनाया जाता है. इससे भी खास बात ये होती है कि ये चुल्हा मिट्टी का बना होता है और आम की लकड़ी पर प्रसाद को बनाया जाता है. व्रत करने वाली औरतें एक बार जब प्रसाद ग्रहण करती हैं उसके बाद वो छठ पूजा समापन के बाद ही कुछ खा पाती हैं.

इसके अगले दिन सांझ का अर्ध्य होता है. इस दिन व्रती और घर के लोग घाट पर जाते हैं और वहां पर सूर्य भगवान की उपासना की जाती है. इसके अगले दिन सुबह का अर्घ्य होता है. जब सूर्य के उगने के समय उन्हें अर्ध्य दिया जाता है और उसके बाद ये पूजा समाप्त हो जाती है. बता दें कि छठ पूजा को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है. छठ का व्रत रखने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है. छठ करने वाले लगातार 36 घंटों तक उपवास रखते हैं. इस दौरान खाना तो क्या, पानी तक नहीं पिया जाता है.

Below Post Banner
After Tags Post Banner 2
After Tags Post Banner 1
After Related Post Banner 1
After Related Post Banner 2
After Related Post Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Close