दिल्ली नहीं निकली दिलदार, जिंदगी रौशन कर रहे यूपी वाले
नई दिल्ली। आंखें ही जिंदगी की रौशनी होती हैं। इनके बिना तो दुनिया की कल्पना करना ही बेकार है। हम अपने साथ-साथ दूसरों का भी ख्याल रखते हैं कि हर किसी की जिंदगी जगमग रहे। इसी कोशिश को लेकर यूपी वालों ने देश भर में मिसाल कायम की है। तेलंगाना कंधे से कंधा मिलाकर चला है। जबकि दिलदार दिल्ली वाले तो दिलदारी दिखाने में पीछे रह गए।
आंखें दान करने के मामले में तेलंगाना और उत्तराखण्ड ने मिसाल कायम की है। वहीं संख्या के मामले में यूपी आगे रहा है। वहीं इस मामले में दिल्ली फिसड्डी साबित हुई है।
अगर हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की बात करें तो इनके हाल दिल्ली से भी बुरे हैं। टॉरगेट के मामले ये दो राज्य तो जीरो पर ही रहे।
आंखे दान करने को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय इस वक्त बेहद गंभीर है। राष्ट्रीय दृष्टिहीनता निवारण कार्यक्रम से जुड़े लोगों की मानें तो इस वक्त देश में आंखों की जरूरत और दान की संख्या में खासा बड़ा अंतर है।
इसी अंतर को कम करने के लिए मंत्रालय ने तीन महीने में देशभर से करीब 50 हजार दान की आंखे जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस संबंध में सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
अगर पिछले टॉरगेट की मानें तो तेलंगाना को 34 सौ आंखों का लक्ष्य मिला था। जून 2017 तक राज्य ने 2717 आंखे जुटा ली थीं। वहीं यूपी अब तक 3 हजार और उत्तराखण्ड 500 आंखे जुटा चुका है।
बताया जाता है कि ये लक्ष्य का 60 प्रतिशत है। वहीं दिल्ली की बात करें तो उसे 3500 का लक्ष्य मिला था, लेकिन जुटाई सिर्फ 291 आंखे। हरियाणा और जम्मू तो अपना खाता भी नहीं खोल सके हैं।