दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक मामले में महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि अनजाने में किसी महिला के शरीर को छुआ जाना यौन शोषण के तहत नहीं आता, जब तक की दूसरे व्यक्ति की ऐसी कोई मंशा न हो।
जस्टिस विभु बाखरु की पीठ ने यह टिप्पणी भी की कि दुर्घटनावश ऐसी घटना को यौन शोषण की परिधि में लाना सही नहीं है। सीआरआरआई के एक वैज्ञानिक की चुनौती याचिका पर निर्णय करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। इस महिला वैज्ञानिक ने एक पूर्व वरिष्ठ सहकर्मी के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी। परंतु समिति ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी। महिला व आरोपी अधिकारी केंद्रीय सड़क अन्वेषण संस्थान में कार्यरत थे।
महिला का आरोप है कि वह लैबोट्ररी में काम कर रही थी, तभी सहकर्मी वैज्ञानिक ने उन्हें धक्का देते हुए लैब से बाहर निकाल दिया था। महिला इस अपराध को यौन शोषण बता कार्रवाई की मांग कर रही थीं। जबकि हाईकोर्ट ने इसे एक घटना करार दिया है।