पाकिस्तान के इस फैसले से कुलभूषण जाधव के चेहरे पर लौटेगी मुस्कान
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नई दिल्ली। क्या भारत और पाकिस्तान फिर से बातचीत की राह पर लौट सकते हैं? यह कहना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन पिछले एक हफ्ते के दौरान जो संकेत मिल रहे हैं वे कुछ उम्मीद जगाते हैं। शुक्रवार को पाकिस्तान सरकार ने वहां के जेल में जासूसी के आरोप में बंद भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को उनकी पत्नी से मिलने की इजाजत दे दी है। इस बारे में पाक सरकार ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग को जानकारी दे दी है। जाधव मार्च, 2016 से पाकिस्तान के जेल में बंद है और बाद में पाक सेना की एक कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा दे दी है। जाधव ने फिलहाल पाक सेना के मुखिया कमर जावेद बाजवा के पास अपनी सजा माफ करने की अर्जी दी हुई है।
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में वैसे तो बहुत कुछ अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन पिछले एक महीने के दौरान तनाव कम करने की कोशिशें लगातार हो रही हैं। सबसे पहले दीवाली के अवसर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ऐलान किया कि स्वास्थ्य लाभ के लिए आने वाले हर पाकिस्तानी को नियमानुसार वीजा दिया जाएगा। अभी तक भारत ने इस बारे में नियम सख्त कर दिये जिससे पाकिस्तानियों को काफी मुश्किल हो रही थी। उसके बाद पिछले हफ्ते ही भारत ने अपने जेल में बंद 14 पाकिस्तानियों को मानवता के आधार पर छोड़ने का ऐलान किया। अभी पिछले दो दिनों से भारत के बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के आला अधिकारियों की बैठक भी नई दिल्ली में चल रही थी। वैसे तो यह बैठक हर छह महीने पर होने की सहमति बनी थी लेकिन रिश्तों में तनाव आने के बाद डेढ़ वर्ष बाद यह आयोजित हुआ है।
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जाधव पर अभी तक बेहद सख्त रवैया दिखा रहे पाकिस्तान का रुख किस तरह से बदला है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि मानवीय आधार पर उन्होंने कुलभूषण जाधव उर्फ हुसैन मुबारक पटेल को उनकी पत्नी से मिलने की इजाजत दी है। अभी तक भारत सरकार की तरफ से एक दर्जन से ज्यादा बार यह आग्रह किया जा चुका है कि जाधव को भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों से मिलने दिया जाए या फिर उन्हें उनकी मां व परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने दिया जाए। विदेश मंत्री स्वराज ने जुलाई, 2017 में पाकिस्तान पीएम के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज पर आरोप लगाया था कि उन्होंने जाधव को मां से मिलने के लिए पत्र लिखा था लेकिन अजीज ने उसे स्वीकार तक नहीं किया था।
ऐसे में पाकिस्तान के रवैये में आया यह अचानक बदलाव से कूटनीतिक सर्किल में हलचल है। जानकार इसे दक्षिण एशिया में अमेरिका की बढ़ती गतिविधि से जोड़ कर भी देख रहे हैं। अमेरिकी सरकार भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है और ऐसे में माना जा रहा है कि वहां से पाकिस्तान पर भी दबाव पड़ा है कि वह भारत के साथ सहयोग करना शुरु करे। क्या इसकी परिणति भारत-पाक द्विपक्षीय वार्ता के तौर पर होगी..इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।
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