अदालती कार्यवाही की लाइव वीडियो रिकार्डिंग बनी हकीकत, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को किया सूचित
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय को गुरुवार को केंद्र ने सूचित किया कि अदालत कक्षों में लगाये गये सीसीटीवी कैमरों की मदद से विभिन्न राज्यों की अनेक निचली अदालतों और न्यायाधिकरणों में न्यायिक कार्यवाही की लाइव वीडियो रिकार्डिंग शुरू हो गयी है. शीर्ष अदालत और कई उच्च न्यायालयों ने पहले अदालतों की न्यायिक कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
न्यायालय ने न्यायिक कार्यवाही में पारदर्शिता लाने के प्रयास में 28 मार्च को पहली बार प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के दो जिलों की अदालतों में आडियो रिकार्डिंग की सुविधा के बगैर ही सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही सरकार के प्रयासों की सराहना की, परंतु इन्हें लगाने की धीमी प्रक्रिया पर चिंता व्यक्त की. न्यायालय ने जानना चाहा कि कर्ज वसूली न्यायाधिकरण और आयकर अपीली न्यायाधिकरण, जहां वित्तीय मुद्दों पर न्याय किया जाता है, में अभी सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने हैं. पीठ ने केंद्र से कहा कि इस लाइव रिकार्डिंग को राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड से जोड़ने की संभावना तलाशे और इस बारे में दिसंबर के दूसरे सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करे.
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने न्यायालय को सूचित किया कि छत्तीसगढ़ में तीन जिलों की निचली अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाये हैं, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के दो-दो जिलों, तमिलनाडु में पांच और सिक्किम की सभी निचली अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, बिहार, राजस्थान ने इन्हें लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और वे संबंधित उच्च न्यायालयों तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ संवाद बनाये हुए हैं.
पीठ ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायलाय की रिपोर्ट से पता चलता है कि उसने चार चरणों में सभी अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है. न्यायालय ने बिहार में इन्हें लगाने की धीमी प्रक्रिया पर चिंता व्यक्त की, क्योंकि उसने कहा था कि राज्य के सभी 61 जिलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए निविदा प्रक्रिया प्रगति पर है. न्यायालय ने इस बात का भी जिक्र किया कि कर्ज वसूली न्यायाधिकरण, आयकर अपीली न्यायाधिकरण, आबकारी स्वर्ण अपीली न्यायाधिकरण और उपभोक्ता मंचों में इस संबंध में काफी काम करना बाकी है जहां अभी तक सूचना ही एकत्र नहीं की गयी है. केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भेजकर अनुरोध किया गया है कि सभी अधीनस्थ अदालतों में कैमरे लगाने के मामले में तत्काल कार्रवाई शुरू की जाये.