गोपालपुरा बाइपास पर जेडीए की कार्रवाई पूरी, 25 दिन में तोड़ीं 289 बिल्डिंग
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जयपुर। जेडीए ने गोपालपुरा बाइपास पर अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई पूरी कर ली है।
जेडीए की प्रवर्तन व इंजीनियरिंग विंग के साथ ही जोन कार्यालय ने 25 दिन तक कार्रवाई कर गोपालपुरा बाइपास के सेक्टर रोड दायरे में आ रहे सभी 289 बिल्डिंग (निर्माण) तोड़ दी हैं। गोपालपुरा मोड पर शनिवार को लोकंड़ा सिस्टम व ब्रेकर मशीन से 10 दुकानों को तोड़ने के साथ ही सेक्टर रोड बनाने का रास्ता साफ कर दिया। अब इंजीनियरिंग विंग को यहां दीपावली से पहले डामर रोड बनाना है। हालांकि काम की जल्दबाजी में सड़क क्वालिटी क नजरअंदाज करने से कॉन्ट्रेक्टरों को फायदा मिल रहा है।
जानिए और इस बारे में …
- जेडीए की प्रवर्तन विंग के मुखिया व पुलिस अधीक्षक राहुल जैन के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में मामले को बिना विवादों के निपटा दिया।
- पुलिस अधीक्षक राहुल जैन व डिप्टी एसपी सीमा भारती ने शनिवार को पूरे मामले की मॉनिटरिंग की।
विरोध के कारण मौके पर नहीं रहते इंजीनियर
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- जेडीए की इंजीनियरिंग विंग के इंजीनियरों ने सड़कें डिवाइडर से नाप कर दोनों तरफ 80-80 फीट के दायरे में आने वाली दुकानों पर चिन्ह लगाया था।
- इस चिन्हीकरण के बाद जेडीए की प्रवर्तन विंग ने लोकंड़ा सिस्टम, पोकलैंड व ब्रेकर मशीन से इन 289 निर्माणों को तोड़ दिया।
- लोगों का आरोप है कि जेडीए के इंजीनियरों ने पहले कुछ लोगों से मिलीभगत कर डिवाइडर की सेंट्रल लाइन बदली।
- फिर नापजोख की इससे कुछ लोगों को फायदा दिया और दूसरे लोगों के पास जेडीए पट्टा होने के बावजूद तोड़ दिया।
सड़क से अतिक्रमण हटाया नहीं और दे दिया 88 करोड़ का वर्क आर्डर
- जेडीए ने गोपालपुरा बाइपास से अतिक्रमण हटाया ही नहीं और ठेकेदारों को सड़क नवीनीकरण व चौड़ी करने के लिए 88 करोड़ रुपए का वर्क आर्डर दे दिया।
- वर्क आर्डर दिए दो साल से ज्यादा समय हो गया और अभी तक 40 फीसदी काम भी पूरा नहीं हुआ है।
- गोपालपुरा बाइपास पर 6 टेंडर्स में पांच फर्म काम कर रही हैं। पारूल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने दो वर्क ऑर्डर ले रखी है।
- वहीं देवी कंस्ट्रक्शन कंपनी, रामनिवास एंड कंपनी, लटाला कंस्ट्रक्शन कंपनी व एलएन अग्रवाल कंपनी के पास एक-एक वर्कआर्डर है।
पुनर्वास व मुआवजे की मांग
- गोपालपुरा मुक्तानंद नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने बताया कि सोसायटी के पट्टे लेकर खातेदारी जमीन पर दुकान व मकान बनी हुई थी।
- सड़क दायरे में आने वाली दुकानों से करीब 700 परिवारों की जीविका चल रही थी।
- दुकानें 25 से 40 साल पुरानी थी। जेडीए को प्रभावित लोगों को पुनर्वास व मुआवजा दिया जाना चाहिए।
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