चीन की अकड़ निकालने के लिए भारत ने तैयार किया ये मास्टर प्लान
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नई दिल्ली। भारत और चीनी सीमा के बीच लंबे समय तक चले डोकलाम विवाद में दोनों देशों के तरफ से जुबानी जंग कई दिनों तक चली बाद में चीन को अपनी सेना वापस ही बुलानी पड़ी थी। जिसे प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक जीत बताया गया था। विवाद को आपसी सहमति से सुलझे अभी ज्यादा समय भी नहीं हुआ था कि ड्रैगन फिर से आँख दिखाने की कोशिशों में लग गया।
वहीं भारत ने भी अब अपना रवैय्या बदलते हुए इस विवाद से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सेना ने चीन से लगती सीमा पर सड़क बनाने के काम में तेजी लाने तथा लिपुलेख, नीती, थांगला और त्सांगचोकला जैसे महत्वपूर्ण दर्रों को अगले तीन साल में जोड़ने का फैसला लिया है।
एक साथ दो मोर्चों पर लड़ाई की स्थिति पैदा होने की आशंकाओं के मद्देनजर सेना प्रमुख ने सभी कमानों से हर समय पूरी तरह तैयार रहने के आदेश दिए हैं।
बता दें सेना के महानिदेशक स्टाफ ड्यूटी लेफ्टिनेंट जनरल विजय सिंह ने शीर्ष सैन्य कमांडरों के पिछले पांच दिनों से यहां चल रहे सम्मेलन के बारे में कहा कि सेना ने उत्तराखंड में चीन से लगती सीमा पर आवागमन सुगम बनाने के लिए सड़क बनाने के काम पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा, ‘सेना की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से कुछ सेना फोरमेशनों में संगठनात्मक बदलाव की बारीकियों पर भी विचार-विमर्श किया गया है’।
उन्होंने कहा कि उत्तरी कमान के क्षेत्र में सड़क निर्माण तथा अन्य ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए सीमा सड़क संगठन को अतिरिक्त धन राशि देने का भी फैसला लिया गया है।
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रक्षामंत्री ने किया संबोधन
डिफेन्स मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने भी अपने संबोधन में सेना की क्षमता और दक्षता को हर स्तर पर सही तरीके से बढ़ाने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि सेना दुश्मन की ताकतों से निपटने के लिए अपनी क्षमता में वृद्धि करे।
सेना प्रमुख ने भी रखा अपना पक्ष
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि गोला बारूद और अन्य उपकरणों की कमी को दूर करने पर जोर देना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि खरीद के समय संतुलित रुख अपनाया जाना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि सेना को किस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है। बता दें सेना प्रमुख सम्मलेन के उद्घाटन के लिए वहां पहुंचे थे।
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