दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए रूस भारत को ऐसे हथियार बनाने में मदद करेगा
जबलपुर। आयुध निर्माणी ओएफके में मैंगो प्रोजेक्ट के तहत January 2018 से एक बार फिर टैंकभेदी बम बनाने का काम शुरू हो जाएगा। निर्माणी में दूसरी खेप में 6,000 FSAPDS-125 एमएम (टैंकभेदी बम) बनाए जाएंगे। निर्माणी ने इन बमों का उत्पादन मार्च-2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
मैंगो प्रोजेक्ट के तहत इस निर्माणी में रशिया के सहयोग से एफएसएपीडीएस-125 एमएम बमों का उत्पादन हो रहा है। निर्माणी में पहली खेप में 12,000 टैंकभेदी बम बनाए गए। इसके बाद कुछ दिन के लिए काम रोक दिया गया। इसकी वजह टैंकभेदी बमों के निर्माण के लिए ‘रा-मटेरियल’ (कच्चा माल) नहीं होना है।
इसलिए ओएफके ने ओएफबी के माध्यम से रूस को कच्चा माल आपूर्ति करने के आदेश दिए। रूस से कच्चा माल मिलना शुरू हो गया है। ओएफके को इस सप्ताह के अंत तक टैंकभेदी बम बनाने का पूरा माल मिल जाएगा। वहीं कच्चा माल मिलने से पहले निर्माणी प्रशासन ने टैंकभेदी बम के उत्पादन की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
70 ट्रालों पर आएगा कच्चा माल
एफएसएपीडीएस-125 एमएम (टैंकभेदी बम) बनाने को रूस से भेजा गया माल भारत के बंदरगाह पहुंच चुका है। यह माल 70 ट्रालों पर लादकर सुरक्षाकर्मियों की देखरेख में नागपुर के रास्ते से ओएफके लाया जा रहा है।
नहीं आएंगे विदेशी विशेषज्ञ
मैंगो प्रोजेक्ट की शुरुआत कराने रूस से 10 सदस्यीय विशेषज्ञ दल यहां आया था। निर्माणी के कर्मचारियों ने इन विशेषज्ञों के नेतृत्व में आधुनिक टैंकभेदी बम बनाए जो अब पारंगत हो गए हैं। इसलिए ओएफके में दूसरी खेप में यह बम बनाते समय विदेशी विशेषज्ञों का दल नहीं आएगा।
वर्जन…
मैंगो प्रोजेक्ट के तहत रूस के सहयोग से दूसरे चरण में 6,000 टैंकभेदी बम बनाए जाएंगे। यह बम बनाने रूस से कच्चा माल भेज दिया गया है जो शीघ्र मिलने की उम्मीद है।