रेप केस में डेरा प्रमुख को 10 साल की कैद, फैसला सुन कोर्ट में रो पड़ा राम रहीम
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हरियाणा | साध्वियों से रेप के मामले में रोहतक की जिला जेल में बाबा राम रहीम के खिलाफ सजा के फैसले के दौरान कुछ अलग ही नजारा था। एक कुर्सी पर जज थे तो उनके सामने कटघरे में खड़ा था वो व्यक्ति जिसके सामने कभी देश की तमाम हस्तियां एक टांग पर खड़ी रहा करती थीं। इस शख्स के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं, दहशत में मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे। जुबान बार बार लड़खड़ा रही थी।
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हाथ जोड़कर उन्होंने दलील दी कि वह तमाम उम्र लोगों की मदद करते रहे, समाज की सेवा के लिए कई काम किए। डेरा प्रमुख के वकीलों ने भी दलील दी कि बाबा ने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया है।
दस मिनट तक गुरमीत राम रहीम और उनके वकील जज के सामने डेरे और डेरा प्रमुख के तमाम परोपकारी कामों को गिनवाते रहे, लेकिन सामने बैठे जज पर इन दलीलों का कोई असर होता नहीं दिखा। इसका आभास सामने खड़े डेरा प्रमुख को भी हो गया था।
उन्होंने जज के सामने हाथ जोड़कर खुद को सजा में रियायत की मांग की। लेकिन इन सबसे बेअसर जज ने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया। जैसे जैसे जज फैसला पढ़ते रहे सामने खड़े गुरमीत राम रहीम के चेहरे का रंग उड़ता चला गया। जैसे ही जज ने डेरा प्रमुख को दस साल की सजा का ऐलान किया, उनके चेहरे की हवाइयां उड़ गई।
फैसला सुनते ही वह कुर्सी पकड़ कर नीचे बैठ गए। चेहरे पर झर-झर आए आंसुओं को पोंछने की कोशिश करते लेकिन चेहरा फिर भीग जाता। कुछ देर बाद ही वह जोर जोर से जज के सामने रोने लगे। उन्हें ले जाने के लिए जेल के कर्मचारियों ने उठाया तो वह फर्श पर ही बैठ गए। कर्मचारियों ने सख्ती की तो गिड़गिड़ाने लगे और कहीं जाने से इंकार कर दिया। इसके बाद कर्मचारी लगभग उन्हें हाथ पकड़कर खींचते हुए बाहर ले गए। यह नजारा शायद एक सल्तनत के ढहने का था और एक हस्ती के मिटने का।
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