दिल्ली : 14-15 नवंबर को बारिश का पूर्वानुमान, स्मॉग से मिल सकती है राहत, सोमवार को स्कूल बंद
नयी दिल्ली : दिल्ली में 14 और 15 नवंबर को हल्की बारिश होने का पूर्वानुमान जताया गया है जिससे शहर वासियों को स्मॉग से राहत मिल सकती है. स्मॉग की वजह से हवा प्रदूषित हो चुकी है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. दिल्ली में आज न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो इस मौसम के औसत तापमान से एक डिग्री कम है.
अधिकतम तापमान 28.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. आद्रता का स्तर 98 फीसदी तथा 51 फीसदी के बीच रहा. मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली में कल सुबह हल्का कोहरा रहेगा और दिन में आसमान साफ रहेगा. विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में 14 और 15 नवंबर को हल्की बारिश होने का अनुमान है जिससे स्मॉग छंट जाएगा और दिल्ली के लोगों को कुछ राहत मिलेगी.
दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से घना स्मॉग होने की वजह से वायू प्रदूषित हो गयी और इसमें सुधार के लिए प्रशासन ने निर्माण गतिविधियों पर रोक तथा पार्किंग शुल्क में चार गुना वृद्धि सहित कुछ आपात कदम उठाये हैं.
वायु प्रदूषण : गुरुग्राम में सोमवार को स्कूल रहेंगे बंद
गुड़गांव जिला प्रशासन ने एनसीआर में धुंध और प्रदूषण की स्थिति को देखते हुये रविवार को सरकारी और निजी स्कूलों को कल बंद रखने का निर्देश दिया है. जिला मजिस्ट्रेट विनय प्रताप सिंह ने बताया, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में धुंध और प्रदूषण को देखते हुए हमने 13 नवंबर को सभी निजी और सरकारी स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया है.
अधिकारी ने बताया कि जिले के स्कूल शुक्रवार और शनिवार को बंद थे. यह आदेश सोमवार तक बढ़ा दिया गया है. उन्होंने बताया, धुंध बच्चे और छात्रों के लिए खतरनाक हो सकता है. हम वायु प्रदूषण से बचने के लिए निवासियों को बेहतरीन गुणवत्ता वाला मॉस्क पहनने की सलाह देते हैं.
दिल्ली में फिर से बढ़ा वायु प्रदूषण
दिल्ली में रविवार को वायु प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ गया, जिसके साथ वायु गुणवत्ता खतरनाक हो गयी. एजेंसियों के अनुसार यह हवा स्वस्थ लोगों के लिए भी खतरनाक है. सेंटर कंट्रोल रुम फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के अनुसार कल कम आपात स्तर से नीचे चले जाने के बाद आज दोपहर हवा में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 और पीएम 10 की सघनता क्रमश: 478 एवं 713 थी.
24 घंटे के लिए इनसे जुड़े सुरक्षित मानक 60 एवं 100 हैं. कई जगहों पर दृश्यता 100 मीटर से कम हो गयी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने वायु गुणवत्ता सूचकांक 460 दर्ज किया जो कल 403 था. सबसे ज्यादा मौजूदगी पीएम 2.5 और कार्बन मोनोऑक्साइड की थी. लोगों ने अपनी आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की है जिससे स्थिति की गंभीरता का पता चलता है.
केंद्र संचालित सफर (सिस्टम फॉर एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) की पीएम 2.5 की रीडिंग भी 400 से ज्यादा थी. यह भी गंभीर श्रेणी में आता है. सीपीसीबी और सफर के वैज्ञानिकों ने कहा कि प्रदूषण में ताजा वृद्धि की वजह उत्क्रमण परत (वह परत जिसके बाहर प्रदूषक वातावरण के ऊपरी परत नहीं जा सकते) में गिरावट है जो न्यूनतम एवं अधिकतम तापमान में तेजी से आयी कमी के कारण हुआ.
सीपीसीबी की वायु प्रयोगशाला के प्रमुख दीपांकर साहा ने कहा कि कोहरा असल में धूल और नमी का मिश्रण है. बादल की घनी चादर के बनने से भी नमी में वृद्धि हुई और न्यूनतम एवं अधिकतम दोनों तापमान में कमी हुई है.
प्रदूषण से बचने के लिये पराली का भूसा और खाद बनाने का सुझाव
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय पंजाब में फसल कटने के बाद पराली जलाये जाने के धुंए से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण जनित धुंध की समस्या के समाधान के लिये पराली के बहुद्देशीय उपयोग की कार्ययोजना पर काम कर रहा है. नीति आयोग और सीआईआई की संयुक्त रिपोर्ट में पराली के व्यवसायिक और
घरेलू इस्तेमाल की कार्ययोजना पेश की गयी है.
पर्यावरण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ए के मेहता की अगुवायी में नीति आयोग और सीआईआई के संयुक्त कार्यबल ने पंजाब में पराली के बहुउपयोग के तरीके सुझाते हुये इस बाबत कार्ययोजना पेश की है. इसमें हर साल सर्दी शुरू होने से पहले दिल्ली के प्रदूषण का कारण बनने वाली धान की फसल की
पराली को जलाने से किसानों को रोकने के लिये इसके दो उपयोग सुझाये गये हैं.
पहला, पराली का भूसा बनाकर इसका व्यवसायिक इस्तेमाल करने और दूसरा, पराली से खाद बना कर किसानों को इस्तेमाल के लिये वितरित करना बेहतर तरीके हैं. कार्यबल ने दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता के खराब होने में पराली की भूमिका के प्रभावों का पिछले साल नवंबर में अध्ययन शुरू किया था. इस साल जून तक चले अध्ययन पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल फसल की कटाई से 60 करोड़ टन फसल अवशेष निकलता है.
इसमें पंजाब में हर साल धान की पराली की हिस्सेदारी दो करोड़ टन है. समिति ने पराली जलाने की किसानों की मजबूरी को स्वीकार करते हुये इसका बहुउपयोग सुनिश्चित करने के लिये उद्योग जगत से इसमें सक्रिय भूमिका निभाने की जरुरत पर बल दिया है. समिति ने मसौदा रिपोर्ट में पराली की किसानों से खरीद सुनिश्चित करने और आद्योगिक इकाईयों को बेच कर इसके बहुउपयोग के उपाय सुझाये हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक पराली का भूसा, रासायनिक उद्योगों के अलावा ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र की औद्योगिक इकाईयों में विभिन्न कार्यों में इस्तेमाल में आता है. सरकार को औद्योगिक इकाईयों के सामंजस्य से पंजाब में खेत पर ही किसानों से पराली की उचित दाम पर खरीद सुनिश्चित करने का सुझाव दिया गया है. यह कीमत कम से कम पराली काटने के लिये मजदूरी पर होने वाले व्यय के बराबर रखने का उपाय बताया गया है.
इस बारे में भारतीय किसान सभा के महासचिव अतुल अंजान की अगुवाई में किसानों के समूह ने पंजाब का दौरा कर किसानों के सहयोग से ही इस समस्या के समाधान निकालने की पहल की. उन्होंने इस रिपोर्ट से इत्तेफाक जताते हुये कहा कि पंजाब में धान की अक्तूबर में कटाई के बाद किसानों के पास गेंहू की बुआई के लिये महज दो सप्ताह का समय बचता है.
पराली को कटाने पर किसान को समय और पैसे का दोहरा नुकसान होता है. ऐसे में किसान के पास धान की पराली के तत्काल निस्तारण का एकमात्र विकल्प इसे जलाना ही बचता है. अंजान ने सरकार को पराली की कटाई को मनरेगा की कार्यसूची में शामिल करने का सुझाव देते हुये कहा कि इससे पंजाब में बेरोजगार बैठे लाखों खेतिहर मजदूरों से किसान पराली की कटाई करा सकेंगे.