दिल्ली मेट्रो: उल्टा पड़ा किराया बढ़ोत्तरी का फैसला, रोजाना घटे इतने लाख यात्री

Delhi Metro Decision on rent increase upside down, Daily Decreased Lakhs Passengers Samastipur Now
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नई दिल्ली। राजधानी में मेट्रो को किराया बढ़ाने का फैसला उल्टा पड़ गया है। बढ़ोतरी के बाद से रोजाना यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। प्रदूषण और स्मॉग की मार झेल रही दिल्ली में मेट्रो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का एक अहम साधन है। लेकिन किराये में वृद्धि के चलते बड़ा प्रभाव पड़ा है।

बता दें एक आरटीआई के जवाब में खुलासा हुआ है कि दिल्ली मेट्रो में यात्रियों की संख्या में प्रतिदिन के हिसाब से 3 लाख की कमी आई है।

दिलचस्प बात यह है कि मेट्रो लाइन के नेटवर्क बढ़ने के बावजूद यात्रियों के संख्या में कमी आई है। अक्टूबर महीने में रोजाना मेट्रो में यात्रा करने वाले मुसाफिरों की संख्या 27.4 से घटकर 24.2 लाख पर आ गई। इस तरह यात्रियों की संख्या में करीब 11 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

डीएमआरी की ओर से RTI के जवाब में बताया गया कि सबसे व्यस्त रहने वाली ब्लू लाइन में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में 30 लाख की कमी आई है।

इसके अलावा येलो लाइन पर भी 19 लाख यात्री घटे हैं। येलो लाइन कॉरिडोर उत्तरी दिल्ली के समयपुर बादली को गुरुग्राम से जोड़ता है। मेट्रो के पास दिल्ली-एनसीआर में फिलहाल 218 किलोमीटर का नेटवर्क है।

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दिल्ली मेट्रो ने बीते 10 अक्टूबर को किराए में बढ़ोतरी का फैसला किया था। मेट्रो ने पांच महीने पहले ही किराए में करीब 100 प्रतिशत की वृद्धि की थी। बढ़े हुए किराए के बाद अधिकतम किराया 60 रूपए और न्यूनतम किराया 10 रूपए किया गया था।

अब मेट्रो में 2 किमी तक सफर करने के लिए 10 रूपए किराया देना होगा। वहीं 2 से 5 किमी तक 15 रुपए की जगह 20 रुपए और 5 से 12 किमी तक 20 रुपए की जगह 30 रुपए खर्च करने होंगे।

यहीं नहीं, 12 से 21 किमी तक 30 रुपए की जगह 40 रुपए, 21 से 32 किमी तक 40 रुपए की जगह 50 रुपए का हो गया है और 32 किमी से अधिक सफर करने के लिए 50 रुपए की जगह 60 रूपए किराया देने पड़ रहे हैं।

प्रदूषण के लिए बन सकता खतरा

डीटीसी में भारी कमी के चलते रोजमर्रा में यात्री मेट्रो से सफर करते हैं जिससे उन्हें सड़क जाम और बसों में आने वाली खराबी से भी नहीं जूझना पड़ता था ऐसे में किराया बढ़ोतरी का फैसला मेट्रो के लिए संकट बन गया है। प्रतिदिन अगर इतनी बढ़ी संख्या में यात्री मेट्रो छोड़ अन्य संसाधनों से सफर कर रहे हैं तो इससे न सिर्फ मेट्रो को घाटा होगा बल्कि दिल्ली में प्रदूषण पर नियंत्रण करना भी मुश्किल हो सकता है।

ऐसे में किराया बढ़ोत्तरी के फैसले में जल्द से जल्द कोई बदलाव देखने को मिल सकता है।

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