भोपाल : पिछले साल आज ही के दिन यानि 31 अक्टूबर की सुबह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हड़कंप मचा हुआ था. शहर के बाहरी इलाके में स्थित सेंट्रल जेल से प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े आठ विचाराधीन कैदी जेल प्रहरी की हत्या कर फरार हो गए थे.
पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर थी और राजधानी के चप्पे-चप्पे पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा था. जेल ब्रेक के करीब नौ घंटे बाद पुलिस ने सभी आठ विचाराधीन कैदियों को एनकाउंटर में मार गिराया था. जेल ब्रेक के एक साल पूरा होने पर न्यूज18 आपको बताने जा रहा है कि कैदियों ने कैसे जेल से फरार होने की साजिश रची थी.
दरअसल, जेल ब्रेक और एनकाउंटर के 24 घंटे के अंदर ही पुलिस को पूरी साजिश का पता चल गया था. पुलिस ने ये पता लगा लिया था कि कैसे ये कैदी जेल से फरार हो गए थे.
भोपाल के पुलिस महानिरीक्षक योगेश चौधरी ने बताया था, ‘इन कैदियों ने टूथब्रश (प्लास्टिक) और लकड़ी से चाबियां बनाई थीं और इसी से ताला खोलकर बैरक से बाहर आए थे.’
उन्होंने बताया था कि भोपाल जेल में सिमी से जुड़े कुल 29 विचाराधीन कैदी थे. इनमें से आठ दो बैरकों में थे. इन आठों ने टूथब्रश सहित अन्य सामान से चाबियां बनाई थीं. ताला खोलने के बाद उन्होंने प्रहरी रमाशंकर यादव की गला रेतकर हत्या की और चंदन सिंह के हाथ-पैर बांध दिए थे, फिर चादरों को रस्सी की तरह इस्तेमाल कर 25 फीट ऊंची दीवार फांद कर भाग गए थे.
बाद में ग्रामीणों से मिली सूचनाओं के आधार पर पुलिस ने गुनगा थाने के मडीखेड़ा के पठार क्षेत्र में खेजरा नाला के पास उन्हें घेरा था. इस पर फरार विचाराधीन कैदियों ने गोली चलाई और धारदार हथियार से पुलिस बल पर हमला किया था.
पुलिस ने जवाब में कुल 45 राउंड गोलियां चलाईं, जिसमें आठों फरार कैदी मारे गए थे. उनके पास से चार देसी कट्टे व तीन चाकू बरामद किए गए थे.