बुधवार शाम 6 बजे से फुटपाथ पर पड़े नरेंद्र को गुरूवार सुबह एक शख्स तड़पता देखता है और पुलिस को मामले की जानकारी देता है. मौके पर पुलिस आती है और फिर घायल नरेंद्र को ट्रामा सेंटर और फिर सफदरजंग अस्पताल ले जाया जाता है. बहरहाल पुलिस ने अज्ञात ड्राइवर के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है लेकिन इस घटना से फिर एक बार साबित हो गया है कि दिलवालों की दिल्ली महज कहावतों में ही रह गई है.
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नई दिल्ली: कहने को दिल्ली दिलवालों की है, लेकिन जब बड़ा दिल दिखाने का समय आता है तो कई बार दिल्ली वाले अपना दिल इतना छोटा कर लेते हैं कि उन्हें मरते हुए किसी शख्स की चीखें भी सुनाई नहीं देती. ऐसी ही कुछ बुधवार रात दिल्ली के कश्मीरी गेट बस टर्मिनल के पास हुआ. जयपुर से दिल्ली आया एक शख्स अपने घर बिजनौर जाने के लिए कश्मीरी गेट बस अड्डे से बस पकड़ने आता है. लेकिन सड़क पार करते हुए उसे एक गाड़ी उड़ा देती है और वो दर्द से छटपटा रहा होता है. हमेशा की तरह मूक-बधिर जनता उसके चारो तरफ जमघट लगा देती है लेकिन कोई उसकी मदद नहीं करता.
सिर्फ इतना ही नहीं शहर की इंसानियत उस वक्त मर जाती है जब उसे दर्द में तड़पता छोड़ लोग उसका मोबाइल, कपड़े, पर्स और यहां तक की उसके जूते भी चुरा लेते हैं. रीड़ में गहरी चोट खाया नरेंद्र फुटपाथ पर करीब 13 घंटों तक छटपटाता रहता है लेकिन अंधी-बहरी जनता को ना उसकी चीख सुनाई देती है और ना उसका दर्द दिखाई देता है.