सात साल पहले बिछड़ा बेटा पहुंचा घर, बतायी ये कहानी
समस्तीपुर। सात साल पहले एक बच्चा अपने परिवार से बिछड़ गया था। माता-पिता व परिजनों हर जगह उसकी तलाश की, लेकिन निराशा हाथ लगी। अचानक वह जब गुरूवार को अपने घर पहुंचा तो मां की आंखें खुशी से भर अायी। मामला बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर का है।
ऐसे लापता हुआ था मासूम
समस्तीपुर के विभूति नगर निवासी कोइये स्वामी मछुआरे हैं। 2010 में उनका इकलौता बेटा सुखलाल (6) अचानक लापता हो गया। परिजन ने पहले खुद तलाश की, फिर थाने में सूचना दी। परिजन रोज थाने जाकर पूछते थे कि उसका बेटा मिला क्या? इस पर पुलिस उसे टरका देती थी।
छह साल की उम्र में लापता हुआ सुखलाल बिहार से ट्रेन के जरिए कब हरियाणा पहुंचा उसे भी नहीं पता। यहां किसी खदान के पास उसे किसी ने रख लिया। करीब छह साल तक एक वक्त खाना खाकर मजदूरी करता रहा। धीरे-धीरे बच्चे के दिमाग से घर, पिता और अपने शहर-गांव की स्मृृति जाती रही।
एक साल पहले मासूम किसी तरह खदान से भागने में कामयाब हुआ। ट्रेन से ग्वालियर पहुंचा। जीआरपी ने लावारिस देखा तो चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। वहां से उसे माधव बाल आश्रम भेज दिया गया।
मानवता ग्रुप ने पहुंचाया बिहार
तीन महीने पहले मानवता चाइल्ड एजुकेशन एवं मल्टी टास्क सोसायटी (मानवता ग्रुप) माधव बाल आश्रम में बच्चों को नई चप्पलें बांटने गया था। तभी बच्चे पर उनकी नजर पड़ी। ग्रुप के संस्थापक आयूष वैद्य ने बताया कि सुखलाल काफी मायूस था।
ग्रुप ने उसे शासकीय बालक आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र में भर्ती कराया। लगातार काउंसलिंग की। पर उसे कुछ याद नहीं था। टीम कुछ दिन पहले उसे बाड़े लेकर पहुंची। यहां बच्चे ने बताया कि पापा के साथ जलेबी खाने सरमन चौक जाता था। बस यहीं से टीम को राह मिल गई।
गूगल पर सरमन चौक सर्च किया और सोशल मीडिया पर उसका फोटो और डिटेल डाल दी। चार से पांच सरमन चौक की डिटेल आई। जिसमें विभूतिपुर का नाम सुनते ही बच्चे ने फिर सहमति जताई।