यात्रियों के साथ अच्छा बर्ताव करेंगे रेलकर्मी
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समस्तीपुर : रेल कर्मचारी (विशेषकर फ्रंट लाइन के जैसे-बुकिंग क्लर्क, टीटीइ, टीटीआइ व रेलवे सुरक्षा बल आदि) यात्रियों के साथ शालीन व्यवहार करेंगे. सिर्फ अच्छा व्यवहार ही नहीं करेंगे आवश्यकता पड़ने पर यात्री का सहयोग भी करेंगे. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रोजेक्ट सक्षम’ के तहत फ्रंटलाइन के प्रत्येक रेल कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जायेगा.
प्रोजेक्ट सक्षम योजना भारतीय रेलवे में एक साथ लागू हो गयी है. पूर्व मध्य रेलवे के समस्तीपुर मंडल मुख्यालय में तो इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. मंडल स्तर पर कार्यशाला आयोजित कर कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जायेगा. इसके लिए सहायक वाणिज्य प्रबंधकों (एसीएम) को जिम्मेदारी सौंपी गयी है.
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मंडल वाणिज्य निरीक्षक (डीसीआइ) छोटे-बड़े सभी स्टेशनों पर तैनात वाणिज्य कर्मचारियों को कार्यशाला आयोजित कर उन्हें प्रशिक्षित करेंगे. डीसीआइ वाणिज्य कर्मचारियों को बतायेंगे कि वे यात्रियों के साथ कैसा व्यवहार करें. उनके कार्य कौशल को और बेहतर बनाने के लिए काउंसेलिंग भी करेंगे. आये दिन रेलवे के टिकट बुकिंग काउंटरों, पूछताछ केंद्रों और ट्रेनों में रेल उपभोक्ताओं व रेलकर्मियों के बीच कहासुनी और झड़प होती रहती है. छोटी सी बात पर भी रेलकर्मी और यात्री आपस में भिड़ जाते हैं. कई बार मामला पुलिस तक पहुंच जाता है. इस शिकायत को रेलवे बोर्ड ने गंभीरता से लिया है. इस योजना से रेलवे के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ेगा. डीआरएम आरके जैन के अनुसार इस योजना को फ्रंटलाइन के प्रत्येक रेलकर्मी तक पहुंचायी जायेगी. इस योजना से रेलवे की कार्य प्रणाली में भी सुधार आयेगा.
रेलवे बोर्ड ने पदनाम बदलने के प्रस्ताव को किया खारिज
रेलवे ने ब्रिटिश जमाने के तकनीकी पदों के नाम को समाप्त करने की तैयारी की थी, लेकिन अभी इस पर विराम लग गया है. रेलवे बोर्ड की ट्रैफिक निदेशालय ने पदनाम बदलने की योजना को खारिज कर दिया है. अब रेलवे के गार्ड का पदनाम गार्ड ही रहेगा. बताते चलें कि अंग्रेजों के जमाने से अब तक यह कैटेगरी ट्रेनों में गार्ड के पदनाम से जानी जाती है. ब्रिटिशकाल से जिन-जिन पदों का नाम प्रचलन में है वे अब भी जारी हैं. बताते चले कि ट्रेन गार्ड के पदनाम बदलने को लेकर ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने मंत्रालय पर दबाव बनाया था.
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