नई दिल्ली। केंद्र सरकार रियल एस्टेट को भी जीएसटी के दायरे में लाने की तैयारी में है। अगर ऐसा होता है तो मकान खरीदना सस्ता हो जाएगा। जीएसटी के दायरे में आने के बाद सिर्फ एकद ही टैक्स देना होगा। इस मामले पर गुवाहाटी में 9 नवंबर को होने वाली जीएसटी की अगली बैठक में चर्चा की जाएगी। वॉशिंगटन की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की तैयारी के संकेत दिए है। जेटली ने कहा कि रियल एस्टेट में सबसे ज्यादा टैक्स चोरी होती है, इसलिए इसे जीएसटी के दायरे में लाने की जरूरत है।
जेटली ने कहा भारत में रियल एस्टेट एक ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा कर चोरी और नकदी पैदा होती है। वह अब भी जीएसटी के दायरे से बाहर है। कुछ राज्य इस पर जोर दे रहे हैं। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि जीएसटी को रियल एस्टेट के दायरे में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीएसटी की अगली बैठक में हम इस समस्या पर चर्चा करेंगे। कुछ राज्य रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाना चाहते हैं और कई राज्य ऐसा नहीं करना चाहते है। अभी इस पर दो राय है और हो सकता है कि चर्चा के बाद एक राय बन जाएं। अगर ऐसा हो जाता है तो इससे सबसे ज्यादा फायदा मकान खरीदने वालों को होगा।
जेटली ने कहा कि टैक्स दायरे के तहत लोगों को लाने के लिए दी जाने वाली छूट और कम खर्च होने से कालेधन से चलने वाली अर्थव्यवस्था का आकार घटाने में भी मदद मिलेगा। किसी परिसर, इमारत और सामुदायिक ढांचे के निर्माण पर या किसी एक खरीदार को इसे पूरा या हिस्से में बेचने पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। हालांकि भूमि एवं अन्य अचल संपत्तियों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। नोटबंदी पर जेटली ने कहा कि यह एक बुनियादी सुधार है जो भारत को एक और अधिक टैक्स चुकाने वाले समाज के तौर पर बदलने के लिए जरूरी था। उन्होंने कहा, यदि आप इसके दीर्घकालिक प्रभाव को देखें तो नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन बढ़ा है। इसने व्यक्तिगत कर आधार को बढ़ाया है। इसने नकद मुद्रा को 3 प्रतिशत तक कम किया जो बाजार में चलन में थी।
उन्होंने कहा, यह स्वभाविक है कि किसी के पास यदि पैसा है तो वह बैंक में जमा करेगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसका धन कानूनी हो गया। वह अभी इसके लिए जवाबदेह हैं। इसलिए नकदी रखने की जो गुप्त पहचान थी, उसका अंत हुआ है और इसे रखने वालों की पहचान हुई है। जेटली ने कहा कि सरकार उन 18 लाख लोगों की जांच करने में सक्षम है जिनकी जमा उनकी सामान्य आय से मेल नहीं खाती है। वे कानून के प्रति जवाबदेह हैं और उन्हें अपना कर चुकाना होगा। आपको बता दें कि जेटली अमेरिका की सप्ताह भर की यात्रा पर हैं। यहां वह विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने आए हैं।