जर्मनी में आम चुनाव: अंगेला मर्केल को चौथा टर्म
जर्मनी में आम चुनाव के तहत हुए मतदान में चांसलर अंगेला मर्केल को जीत मिली है। उन्हें चौथी बार देश की कमान मिली है। मर्केल जहां इस जीत से खुश हैं वहीं उन्होंने इस बात को भी स्वीकारा है कि पार्टी के लिए तय किए गए 40 प्रतिशत वोट के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका है। इस चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने किया है जिसने संसद में अपनी एंट्री पक्की कर ली है।
मर्केल को सत्ता में 12 साल तक बने रहने के बाद पहली बार अधिकांश कैम्पेन में दोहरे अंकों पर बढ़त हासिल हुई है। एग्जिट पोल के मुताबिक, मर्केल की कंजरवेटिव सीडीयू व सीएसयू गठजोड़ को करीब 33 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं। उनकी करीबी प्रतिद्वंद्वी मार्टिन स्कल्ज नीत मध्य वाम सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) को युद्ध के बाद का सबसे कम 20-21 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ है। इस्लाम और आव्रजन विरोधी एएफडी को 13 प्रतिशत वोट मिले हैं। इसके साथ ही यह देश की तीसरी बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभरी है। विशेषज्ञ एएफडी के प्रदर्शन को जर्मनी के लिए ऐतिहासिक घटना करार दे रहे हैं। देश के सबसे बड़े अखबर ‘बिल्ड’ ने इसे राजनीतिक भूचाल करार दिया है।
चुनावी नतीजे सामने आते ही एएफडी के मुख्यालय में समर्थकों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है। गौरतलब है कि द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से पहली बार बूनदशताग में असली नाजियों के प्रवेश से सतर्क नेताओं ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में मतदाताओं से अनुरोध किया था कि वे दक्षिणपंथी एएफडी को खारिज कर दें। यूरोपीय संसद के पूर्व प्रमुख स्कल्ज ने शुक्रवार को एक रैली में कहा कि जर्मनी के लिए यह विकल्प कोई विकल्प नहीं है। वे हमारे राष्ट्र के लिए शर्म का विषय हैं।
मर्केल अपनी जीत से खुश तो हैं, लेकिन उन्होंने साथ ही स्वीकारा है कि वह पार्टी के लिए तय किए गए 40 प्रतिशत वोट के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाईं। मर्केल ने कहा, ‘हमारे लिए यह नई चुनौती है और वह बूनदशताग में एएफडी का प्रवेश। हम चाहते हैं कि एएफडी के मतदाता फिर हमसे जुड़ जाएं।’
मर्केल बहुमत का आंकड़ा नहीं पार कर पाई हैं और चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाले एसपीडी ने दोबारा उनके साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है। ऐसे में सरकार बनाने की प्रक्रिया लंबी खिंचने वाली है।