समस्तीपुर। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि देश में तीन वर्षों में आठ कृषि विश्वविद्यालय खुले। केंद्र सरकार किसानों की स्थिति सुधारने तथा कृषि व्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। वे राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेला में किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कृषि को उन्नत बनाने के लिए पर्याप्त संख्या में कृषि वैज्ञानिकों का होना जरूरी है। इस दिशा में सरकार लगातार कदम उठा रही है।
विभिन्न राज्यों में उच्च कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विगत 3 वर्षों में 8 नए कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की है वर्ष 2013 की तुलना में नई सरकार के प्रयासों के परिणाम स्वरुप वर्ष 2016 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रों के दाखिले में लगभग 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कृषि शिक्षा में नए प्रतिभा को आकर्षित करने हेतु नेताजी सुभाष आइसीएआर अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप की संख्या 15 से बढ़ाकर 30 की गई है साथ -साथ राष्ट्रीय प्रतिभा स्कॉलरशिप के अंतर्गत वर्ष 2016 से अंडर ग्रेजुएट छात्रों की स्कॉलरशिप को 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये प्रतिमाह किया गया है तथा नई पहल करते हुए वर्ष 2016 में पीजी छात्र जो गृह राज्य से बाहर किसी दूसरे राज्य में जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं उनके स्कॉलरशिप 3000 रुपये प्रतिमाह किया गया है जबकि पहले उन्हें कोई स्कॉलरशिप एवं वित्तीय सहायता नहीं दी जाती थी इस वर्ष लाभार्थियों की संख्या 2430 है ।
राज्य कृषि विश्वविद्यालय एवम आइसीएआर संस्थानों में रिटायर वैज्ञानिक एवं प्रोफ़ेसर हेतु एमेरिटस वैज्ञानिक एवं एमेरिटस प्रोफेसर परियोजना में कुल पदों की संख्या 50 से बढ़ाकर 100 कर दी गई है उनकी परिणाम स्वरुप राशि भी 25000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये प्रतिमाह कर दी गई है। कृषि विश्वविद्यालयों का अधिक सु²ढ़ीकरण और शिक्षा गुणवत्ता में और भी सुधार लाने के लिए भारत सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से एक ग्यारह सौ करोड़ रुपये का उच्च शिक्षा परियोजना का शुभारंभ किया है।
कृषि विज्ञान को और शिक्षकों की क्षमता और योग्यता बढ़ाने के लिए परिषद ने 40 सीएएफ केंद्रों और प्रत्येक वर्ष 80 के लगभग समर ¨वटर स्कूल का आयोजन करता है जिससे कि कृषि शिक्षकों को वैज्ञानिकों को चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में दक्षता हासिल हो सके। पंडित दीनदयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा परियोजना का आरंभ किया गया है जिसमें 100 शिक्षण केंद्र जैविक खेती प्राकृतिक खेती एवं गाय आधारित अर्थव्यवस्था पर जोर दे कर परंपरागत कृषि को सु²ढ़ करना है और इनकी शुरुआत 32 कृषि विश्वविद्यालयों में की जा चुकी है और लगभग 15000 किसानों को अब तक किन तकनीकों से लाभ प्राप्त हुआ है।
मंत्री ने यह भी कहा कि अब कृषि विश्वविद्यालयों को भी कंपटीशन में उतरना होगा और धीरे-धीरे स्वालंबी बनना होगा ताकि किसान इनकी देख से किसान स्वयं भी अपने आप में यह शिक्षा ग्रहण कर पाएगा । मौके पर मौजूद मौके पर मौजूद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर सी श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय विगत 2 वर्षों में काफी विकास किया है सभी कोर्स में सभी सीटें भर गई है छात्र विभिन्न देश में कोने-कोने में अपना जलवा दिखा रहे हैं वहीं विश्वविद्यालय के द्वारा धान धनिया मसूर सहित सोलर चालित पंप सेट महिलाओं के लिए भी छोटे कृषि यंत्र, बकरी की नई नस्लें केले की खेती सु²ढ़ करने के लिए नए अनुसंधान केंद्र और ऐसे दर्जनों तकनीकी विकसित की है जो कि किसानों के लिए काफी लाभदायक है और शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय अग्रणी कार्य कर रहा है।
कुलपति ने कृषि मंत्री से कृषि विज्ञान केंद्रों में रेडियो स्टेशन की स्थापना एवं चालू करने के लिए राशि उपलब्ध कराने की भी मांग करते हुए कुलपति ने कहा कि दो कृषि विज्ञान केंद्रों पर मिट्टी मोबाइल भान भी उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि किसान मिट्टी जांच कर वैज्ञानिकों के सलाह के अनुसार अपने खेतों में खाद का इस्तेमाल कर सकें। कृषि मंत्री ने सर्वप्रथम आते ही डॉ राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और मंच पर कुलपति के द्वारा उन्हें मोमेंटो तथा शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया। स्वागत गान सत्य नारायण मिश्र के नेतृत्व में प्रस्तुत की गई। वही मंच संचालन डॉ. अनिल कुमार सिंह ने किया। मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली प्रसार शिक्षा के उप निदेशक डॉक्टर ए.के.सिंह ने भी किसानों को संबोधित करते हुए कृषि से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी दी। धन्यवाद ज्ञापन प्रसार शिक्षा निदेशक डॉक्टर एके ¨सह ने दिया ।