भारत-चीन सीमा वार्ता में उठ सकता सीपीईसी का मुद्दा
बीजिंग : चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत की पुष्टि की है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने शुक्रवार को तय तिथि के बारे में जानकारी नहीं दी, लेकिन आने वाले समय में द्विपक्षीय वार्ता होने की बात कही है। बातचीत के दिसंबर में होने की संभावना जताई जा रही है। इसमें सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों के अलावा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। प्रस्तावित कॉरिडोर गुलाम कश्मीर से होकर गुजरेगा।
सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) का हिस्सा है। पिछले महीने संपन्न कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के पांच वर्षीय सम्मेलन में बीआरआइ को संविधान में शामिल किया गया है। गुलाम कश्मीर से गुजरने के कारण भारत इस परियोजना का शुरुआत से ही विरोध कर रहा है। सीपीईसी परियोजना पर चीन 50 अरब डॉलर (3.25 लाख करोड़ रुपये) खर्च करेगा। इससे शिनजियांग प्रांत को अरब सागर में स्थित ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने की योजना है। चुनइंग ने भारत, चीन और रूस के विदेश मंत्रियों के बीच भी जल्द मुलाकात होने की जानकारी दी है। डोकलाम विवाद के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच यह पहली उच्चस्तरीय वार्ता होगी।
द्विपक्षीय वार्ता में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दक्षिण एशिया के लिए जारी नई नीति पर भी चर्चा होने की संभावना है। ट्रंप ने इसके तहत पाकिस्तान को आतंकियों के पनाहगाह को खत्म करने या फिर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।
यांग यिची सीमा वार्ता पर बने रहेंगे विशेष प्रतिनिधि
स्टेट काउंसलर यांग यिची भारत-चीन सीमा वार्ता में चीन के विशेष प्रतिनिधि बने रहेंगे। दरअसल, यांग अगले साल मार्च में स्टेट काउंसलर के पद से हटने वाले हैं। विदेश मंत्री वांग यी उनका स्थान ले सकते हैं। सीपीसी के पांच वर्षीय बैठक में यांग को चीन के शक्तिशाली 25 सदस्यीय पोलित ब्यूरो में जगह दी गई है। स्टेट काउंसलर का पद विदेश मंत्री से ऊपर होता है।