इस कबड्डी खिलाड़ी ने मुश्किल हालात में पाया मुकाम, अब डॉक्यूमेंट्री में आएंगी नजर

This kabaddi player found in difficult situations, now it will come in the documentary Samastipur Now
0 78
Above Post Campaign

सीतामढ़ी। आम किसान परिवार की एक लड़की गांव के निकलकर कबड्डी में राष्ट्रीय फलक पर पहुंची। कई मेडल जीते। उसकी सफलता की कहानी की चर्चा दूर-दूर तक हुई तो नेहरू युवा केंद्र की पहल पर यूनाइटेड नेशन वालंटियर्स इंडिया, दिल्ली ने भी इसका संज्ञान लिया। ग्रामीण लड़कियों को खेल के प्रति जागरूक करने के लिए उस पर डॉक्यूमेंट्री बनाई। जल्द ही यूथ इंडिया, यूएनवी और यूट्यूब सहित अन्य सोशल साइट्स पर डॉक्यूमेंट्री अपलोड की जाएगी।

संघर्ष और सफलता की यह कहानी है डुमरा प्रखंड की परोहा पंचायत के रामपुर गांव निवासी प्रमोद साह एवं मंजू देवी की बेटी मेनका की। बीए कर रही मेनका जब कक्षा आठ में थी तो स्कूल आते-जाते समय बच्चों को कबड्डी खेलते देख इसके प्रति उसमें रुचि जगी।

माता-पिता ने हिम्मत बढ़ाई तो उसने भी लड़कियों के साथ डुमरा स्टेडियम मेंं कबड्डी खेलना शुरू किया। यहां कोच पंकज ने उसकी प्रतिभा को पहचाना। उसे लगातार निखारा। कठिन मेहनत से एक के बाद एक सफलता मिलती गई। पहले जिला फिर राज्य स्तर पर दर्जन से अधिक बार कबड्डी टीम का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2008-09 में राष्ट्रीय स्तर आयोजित प्रतियोगिता में बिहार कबड्डी टीम का हिस्सा रही। 2013 में कर्नाटक एवं 2014 में असोम में आयोजित नेशनल कबड्डी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया।

लड़कों का खेल बता लोग करते थे आलोचना

Middle Post Banner 1
Middle Post Banner 2

मेनका कहती है कि शुरू में उसका कबड्डी खेलना लोगों को पसंद नहीं था। लोग कहते थे कि यह लड़कों का खेल है। लेकिन जैसे-जैसे सफलता मिलती गई, सराहना होने लगी। कुछ लड़कियों के अनुरोध पर उन्हें कबड्डी के गुर बताने लगी।

मेनका की प्रतिभा देख दो साल पहले नेहरू युवा केंद्र ने लड़कियों को कबड्डी का प्रशिक्षण देने के लिए अपना कोच नियुक्त किया। नेहरू युवा केंद्र के प्रयास से ही उसकी सफलता पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का निर्णय हुआ। इसके लिए दिली से यूनाइटेड नेशन वालंटियर्स की टीम बीते साल पहुंची।

28 एवं 29 नवंबर को डुमरा के जानकी स्टेडियम में डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग हुई। इसमें मेनका के संघर्ष एवं राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने की कहानी है। यह दिखाया गया है कि गांव के एक साधारण किसान परिवार की लड़की ने दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर पहचान बनाई। यह डॉक्यूमेंट्री करीब सात मिनट की है।

डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से देश की अन्य लड़कियां भी मेनका की उपलब्धियों से अवगत होंगी। नेहरू युवा केंद्र के माध्यम से डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है।

Below Post Banner
After Tags Post Banner 1
After Tags Post Banner 2
After Related Post Banner 1
After Related Post Banner 3
After Related Post Banner 2
Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Close