पटना हाइकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, अब समान काम के लिए समान वेतन

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पटना हाइकोर्ट ने समान काम के लिए समान वेतन की नियोजित शिक्षकों द्वारा याचिका को सही ठहराते हुए इसके पक्ष में फैसला दिया है और कहा है कि इसे लागू करना ही होगा।

पटना। नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों की तरह वेतन और सुविधाएं दी जाएं। समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे नियोजित शिक्षकों की याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को यह आदेश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश डा. अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने बिहार सेकेंडरी टीचर्स स्ट्रगल कमेटी की याचिका पर नौ अक्टूबर को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार पहले कोर्ट का अध्ययन करेगी। आवश्यकता होने पर अपील में भी जाएगी।

अदालत ने अपने फैसले में शिक्षकों को एक समान वेतन एवं सुविधाएं नहीं दिये जाने को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार किया है। कोर्ट ने कहा शिक्षक नियमावली 2006 की धारा 6 एवं 8 संविधान के विपरीत है। सेकेंडरी टीचर्स स्ट्रगल कमेटी की याचिका पर पक्ष रखते हुए अधिवक्ता संजीव कुमार का कहना था कि यह राज्य सरकार का सौतेला व्यवहार है। जबकि अनेक राज्यों में इस प्रकार की विषमताओं को खत्म कर दिया गया है।

याचिका में बिहार जिला परिषद माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षक (नियोजन एवं सेवा शर्त) नियमावली, 2006 की नियमावली 6 एवं 8 को चुनौती दी गई थी। इन दोनों नियमों में नियोजित शिक्षकों एवं स्थायी शिक्षकों के बीच भेदभाव किया गया था। इस नियमावली द्वारा नियोजित शिक्षकों को किसी अन्य प्रकार का भत्ता जैसे महंगाई भत्ता, आवास भत्ता, चिकित्सा भत्ता परिवहन भत्ता नहीं दिये जाने की बात कही गई थी। इन्हें अन्य कई सुविधाओं से वंचित रखा गया है।

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खंडपीठ ने कहा कि यह कैसी व्यवस्था है कि एक शिक्षक प्रतिमाह 25 हजार रुपया प्रतिमाह वेतन ले जबकि उसी स्कूल के दूसरे शिक्षक 8 हजार रुपया लेकर संतोष करे। खंडपीठ ने सरकारी वकील से कहा उस नियोजित प्रधानाध्यापक के बारे में सोचिये, जिसके दस्तखत से चपरासी प्रतिमाह 25 हजार रुपये वेतन उठाता है और स्वयं 8 हजार रुपये वेतन लेकर संतोष करता है। इससे बड़ी विषमता क्या हो सकती है।

अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह एवं अधिवक्ता दीनू कुमार ने इस नियमावली को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया था। राज्य सरकार की तरफ से माध्यमिक शिक्षा के निदेशक के जवाब में कहा गया उन शिक्षकों को यह नहीं भूलना चाहिए जब उनकी नियुक्ति की गई थी तो साफ तौर पर कहा दिया गया था कि नियमों एवं शर्तों के आधार पर वे नियुक्त किये गये थे।

कितने शिक्षकों को मिलेगा लाभ = 4,05347 शिक्षक
सरकार पर कितना पड़ेगा वित्तीय भार = सालाना करीब 2948.49 करोड़ रुपये
किसे मिलेगा लाभ = नियोजित प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित प्राथमिक माध्यमिक ,उच्च माध्यमिक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष

हाईकोर्ट के फैसले की प्रति हमें नहीं मिली है। कोर्ट के फैसले का विस्तृत अध्यन करने के बाद सरकार किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेगी। यदि आवश्यकता पड़ती है तो सरकार कोर्ट में इस मामले में अपील में जाएगी।

– कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा, शिक्षा मंत्री

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