पहली कक्षा की पूरी किताब 112 तो आठवीं की 268 रुपये में मिलेगी। हर कक्षा की विषयवार किताबों की कीमत निर्धारित कर दी गई है। इस बार किताबों की छपाई और बिक्री की पूरी जिम्मेदारी निजी मुद्रकों की होगी। अगले साल (शैक्षणिक सत्र 2018-19) से कोर्स की किताबें खरीदने के लिए बच्चों को पैसे देने की राज्य सरकार की तैयारी है।
बच्चे स्वयं किताबें खरीदेंगे। इसके लिए पहली से पांचवीं के बच्चों को 150-150 तो छठी से आठवीं के बच्चों को 250-250 रुपये दिए जाएंगे। गौरतलब हो कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत पहली से आठवीं के बच्चों को नि:शुल्क किताबें दी जाती हैं। विभिन्न कारणों से कुछ वर्षों से बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिल रही हैं। वर्ष 2017-18 में निजी मुद्रकों से किताब छपवा कर बच्चों को उपलब्ध कराने का निर्णय हुआ। कागज की भी मुद्रकों द्वारा स्वयं व्यवस्था करनी थी।
बच्चों को सात-आठ महीने विलंब से किताबें मिलीं। इसलिए राज्य सरकार ने नई व्यवस्था की है। मुद्रक पर स्वयं कागज उपलब्ध कर किताब छापने की जिम्मेदारी होगी। कागज की गुणवत्ता का मानक राज्य सरकार तय करेगी। पहली से आठवीं कक्षा तक की पूरी किताबें 112 से 268 रुपये के बीच में ही आएंगी। मुद्रकों को अलग-अलग जिले की जिम्मेदारी देकर किताबों की बिक्री कराई जाएगी। हर किताब की कीमत 20 से 60 रुपये के बीच है। बच्चों को किताब की राशि का भुगतान उनके अथवा उनके अभिभावक के बैंक खाते में किया जाएगा। मुद्रकों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित कीमत पर ही किताबें बेचनी होगी।